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(देव शिल्प
[३९९] ७. श्रीवृक्ष प्रासाद
वल का विभाग प्रासाद को वर्गाकार भूमि के चौदह भाग करें। का) २ भाग, प्रतिकर्ण २ भाग, भद्रा २ भाग तथा गद्र के दोनों तरफ एक एक भाग की नंदिका (कोणी) करें। इसका भोतरी गान इस प्रकार लें -
अट भाग का गर्भगृह, एक भाग की दीवार, एक भाग की परिक्रमा, एक भाग बाहरी दीवार, बाहरी मान मंदर प्रासाद के अनुसार ही करना चाहिए, दो भाग का कोना, दो भाग का प्रतिस्थ, एक भाग का नन्दी, दो भाग का भद्राय रखें।
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शिरपर की सजा शिखर की चौड़ाई आठ भाग करें। कोण के ऊपर
दो श्रृंग चढ़ायें। प्रोतेरथ के ऊपर एक श्रृंग और एक तिलक चढावें। नन्दी के ऊपर एक तिलक रखें। भद्र के ऊपर
तीन तीन ऊराझंग चढ़ायें
श्री वृक्ष प्रासाद
श्रृंग संख्या कोण प्रतिरथ
तिलक संख्या प्रतिरथ ८
८ । १२
गद्र
शिखर
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कुल २९
कुल
१६