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(देव शिल्प मदिर भारंभ के समय १२ भावों में नवग्रहों का शुभाशुभ कथन
सूर्य
लग्न में भाव से ५ लाम से २लग से ३ लग्न से
लग्न से ५लग्न रो ६ लग्न से ७ लग्न से ८ लग्न से
चन्द्र मंगल
बुध बज्रपात द्रव्य हानि मृत्यु आयुपर्यंत कुशलता हानि
शत्रु नाश बन्धन बहु सम्पत्ति चिलंब से सिद्धि अपेक्षित सिद्धि विलंब से सिद्धि अभीष्ट सिद्धि मित्रों से हाने बुद्धि नाश मन्त्रणा 'भेद धन लाभ सन्तान नाश कलह कार्य अवरोध रन लाभ रोग नाश
लाभ
ज्ञान, धन लाभ कीर्ति नाश क्लेश, भ्रम विपत्ति अश्व प्राप्ति शत्रु भय हानि रोग भय प्रतिष्ठा वृद्धि धर्म हानि धातु क्षय , रोग धन नाश अनेक भोग मित्रता वृद्धि
रत्न लाभ विजय, स्त्रीधन लाभ लाभ लाभ लाभ
लाभ व्या व्यय व्यय
व्यय
९लग्न से
शोक
१० लग्न से ११ लग्न रो १२ लग्न से
लग्न में भाव से
शनि
१लग्न रो
दरिद्रता
र लग रो ३ लग्न से हलग्न से ५लग्न से ६लग से ७ला से ८ लन से ९ लग से १० लग्न से ११ लग्न से १२ लग से
गुरू धर्म, अर्थ लाभ धर्म सिद्धि अभोष्ट सिद्धि राज राम्गान मित्र, धन लाभ यंत्रणा गजा प्राप्ति विजय विद्या लाभ, आनंद महत सुख लाभ व्यय
शुक्र पुत्र लाभ यथेष्ट पूर्ति अभीष्ट सिद्धि भूमि लाभ पुत्र सुख विद्या लाभ धन लाग आपसी कलह विजय शय्यासन लाभ लाभ
विघ्नोत्पत्ति विलम्ब से सिद्धि सर्वस्व नाश बंधु नाश शत्रु नाश अंगहीनता का भय रोग भय धर्म दोष कीर्ति नाश
लाभ
व्यय
व्यय