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(देव शिल्प
राहू दळ निर्देश *
मास मार्गशीर्ष, पौष, माघ फाल्गुन, चैत्र वैशाख ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण भाद्र पद, आश्विन, कार्तिक
राहू का दिशा में वास पूर्व दिशा दक्षिण दिशा पश्चिम दिशा उत्तर दिशा
वार वरील राहू वास #
वार
रविवार
सोमवार मंगलवार बुधवार गुरुवार
राह का दिशा में मुख ऋत्य दिशा उत्तर दिशा आग्नेय दिशा पश्चिम दिशा ईशान दिशा दक्षिण दिशा वायव्य दिशा
शुक्रवार
शनिवार
राहू दिशा कार्य फल
राहू की दिशा में स्तम्भ स्थापित करने से वंश नाश द्वार स्थापित करने से अग्नि भय, यात्रा करने से कार्य हानि तथा मन्दिर निर्माण आरंभ करने से कुल नाश होता है।
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*त्रिषु त्रिषु व मासेषु मार्गशीर्षादिषु क्रमात् । पूर्व दक्षिणे टोयेश पोस्लयाशाक्रमादधुः ।।८ # रक्ष कुबेराठिन जलेश यम्य वायट काष्टासु च सूर्य वात् । वसेदगुश्चाष्ट सु दिनभचके मुख्य विवज्या गपनं गृहंच ।। १०
स्तम्भे वंश विनाशः स्याद् द्वारे यहि पदं भवेत् । बमने कार्यहालिः स्याद गृहारम्भं कुल क्षयः ।।९ विश्वकर्मा प्रकाश/नेहारम्भ प्रकरण