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देव शिल्प
(५७) वास्तु ज्योतिष प्रकरण
कार्य प्रारंभ मुहर्त का चयन
मन्दिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ करने के लिये यह परम आवश्यक है कि यह कार्य ऐसे मुहूर्त में सम्पन्न किया जाये कि कार्य द्रुत गति से निर्विघ्न सम्पन्न होवे। इसके लिये विद्वान आचार्य परमेष्ठी एवं विज्ञ प्रतिष्ठाचार्य से परामर्श करके ही शुभ मुहूर्त निकालना चाहिये तथा सभी विधि विधानों के साथ चतुर्विध संघ की पावन उपस्थिति में निर्माण कार्य प्रारम्भ करना चाहिये । विभिन्न शास्त्रों में ज्योतिष की दृष्टि से पृथक पृथक मुहूर्त निकालने के सूत्र दिये हैं। उनका अवलोकन करके सर्वोत्तम मुहूर्त चयन करके कार्यारम्भ करें।
सामान्यतः चातुर्मास अवधि में कार्यारम्भ न करें। शुक्ल पक्ष की तिथि में प्रारंभ किया गया कार्य सुफलदाता होता है जबकि कृष्ण पक्ष मे प्रारंभ कार्य चौर्य भय का कारण है।
मन्दिर आरम्भ के समय राशि सूर्यफल मन्दिर निर्माण आरंभ करते समय किस राशि पर सूर्य है यह निर्णय करने के बाद ही मुहूर्त निकालना चाहिये । राशियों पर सूर्य का फल इस प्रकार है :
मिथुन, कन्या, धनु और मीन राशियों पर सूर्य हो तब मन्दिर का आरम्भ नहीं करें। * मेष, वृषभ, तुला और वृश्चिक इन चार राशियों पर सूर्य हो तब पूर्व पश्चिम द्वार वाले मन्दिर को आरम्भ न करे । दक्षिण उत्तर द्वार वाला मन्दिर बना सकते हैं। कर्क, सिंह, मकर, कुम्भ इन चार राशियों पर सूर्य हो तब उत्तर दक्षिण द्वार वाले मन्दिर का प्रारम्भ न करें। किन्तु पूर्व पश्चिम दिशा वाले मन्दिर का निर्माण करें। #
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* थनमीणमिहुणकण्णा संकंतीएम कीरपणेहं। तुलविच्छियमेसविसे पुष्यावर सेस-सेस विसे ।।व.सा.१/१२ कार्किलक्तहरिकुम्भातेऽक, पूर्वपश्चिपमुखानि गृहाणि । तौलिपेषवृषदृश्चिकयाते, दक्षिणोत्तरसुखानि च कुर्यात ।। अन्यथा यदि करोति दुर्मति-धिशोकथनजाशमश्नुते । पीजचापमिथुनातकनागते, कारवेत्तु गृहमेव भास्करे ॥१२/०५ मुहूर्त चिंतामणि टीका