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(देव शिल्प)
मंदिर निर्माण कार्य के मध्य में सर्वशांति के लिए विभिन्न चरणों में शांतिपूजा अवश्य ही करना
चाहिये :
१.
३.
५.
७.
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भूमि का आरम्भ
शिलान्यास
खुर शिला स्थापन
स्तम्भ स्थापन
पद्मशिला स्थापन
९.
११. प्रासाद पुरुष स्थापन
१३. कलशारोहण
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* भूम्यारम्भे तथा कूर्मे शिलायां सूत्रपातने ।
२.
४.
६.
८.
खुरे द्वारोच्छ्रये स्तम्भे पट्टे पद्यशिलासु ॥ प्रा.म. १ / ३७ शुकनासे च पुरुष घण्टायां कलशे तथा ध्वजोच्छ्रये व कुर्वीत शान्तिकानि चतुर्दश ॥ प्रा.म. ५/३८
१०.
१२.
कूर्म न्यास
सूत्रपात (तल निर्माण)
द्वार स्थापन
पाट चढ़ाते समय
शुकनास स्थापन
आमलसार चढ़ाना
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१४. ध्वजारोहण
यदि अपरिहार्य कारणों से चौदह शांतिपूजा न हो सकें तो कम से कम पुण्याह सप्तक की सात पूजा अवश्य हो करें |