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(देव शिल्प)
जैनेतर गृह मंदिर में निषेध* घर में स्थापित मंदिर में सामान्यतः आस्था के अनुरुप एक से अधिक प्रतिभाएं रखी जातो हैं। कभी कभी अनुरागवश एक ही देव की अधिक प्रतिगाएं रख ली जाती हैं । गृहरथ को चाहिये कि एक ही देव की अधिक प्रतिमाएं न रखे।
निम्नलिखित मूर्तियाँ गृह मंदिर में न रखें :
१. दो शिवलिंग २. तीन गणेश ३. तीन शक्ति ४. मत्स्य आदि दशावतार से चिन्हित प्रतिमा ५. तुलसी के साथ चंडी, सूर्य गणेश, दीप ६. दो द्वारिका चक्र ७. दो शालिग्राम ८. दो शंख
शास्त्रोक्त शति से विपरीत गृह मंदिर में अधिक प्रतिमाएं रखने से गृहस्थ को उद्वेग व परेशानी होती है। अतएव अधिक प्रतिमाएं कदापि न रखें।
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* गृहे लिंगद्रयं नाच्य गणेशत्रयमेव च। शक्तित्रयं तथा शंखं मम्मादि (मत्स्यादि) दशकांकितम् ॥ रुप मंडल २/२ रोचक्रे द्वारकयास्तु शालिग्रामद्वयं तथा। द्रौ शंखौ नार्चयेत् तद्वत् सूर्ययुमं तथैव च | रुपमा २/३ तेषां तु पूजनान्नूनमुद्रेग प्राप्नुयाद गृही। तुलस्यानाचयेच्यण्डी दीपं (नैव) सूर्य गणेश्वरम् ॥ रुप मं.२/५