SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ देव शिल्प) १३ जिनालय माहात्म्य वास्तुशास्त्र के विविध वर्णनों में शास्त्रकारों ने जिनेन्द्र मंदिरों (जिनालयों) का महत्व एवं प्रभाव अपनी शैलियां में प्रस्तुत किया है। जैन धर्मावलम्बियों के अतिरिक्त अन्य रामाज एवं राष्ट्र के लिये भी ये मंदिर मंगलकारी हैं। जो भी व्यक्ति अपने पूरे जीनकाल में एक चावल के दान के बराबर भी जिन प्रतिमा बनवाकर मन्दिर में स्थापित करता है वह जन्म जन्मातर के पापकों का क्षय कर अनन्त सुख का अधिकारी बनता है। जिन वीतराग प्रभु स्वयं तो महान सुख को प्राप्त कर सिद्धशिला पर विराजमान हैं लेकिन एकदा तीच सुख की प्राप्ति होती है। अतएव किसी भी परिस्थिति में अपनी शक्ति के अनुरुप यह कार्य अपने जीवन में करने का लक्ष्य रखना चाहिये । जिनेन्द्र मंदिर सर्व पूजनीय हैं, प्रजा को सुखदायक है, सर्व मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले हैं। सभी को तुष्टि, पृष्टि, सुख, समृद्धि की प्राप्ति कराने के लिये समर्थ कारण हैं। रार्व लोक भी शांति का प्ररगर करने वाले हैं। राजा प्रजा सभी के लिये मंगल स्वरुप हैं । शास्त्रकारों ने तो यहां तक कहा है कि चाहे परिक्रमा वाले जिनालय हों या बिना परिक्रमा बालं ये सर्व सुखकारक है। यदि चारों ओर द्वार वाले सर्वताभद्र जिनालय का निर्माण करवाकर उरामें चारों दशाओं को गुरुण करके जिनेश्वर प्रभु की प्रतिमा स्थापित की जाय तो ये सभी इच्छित फलों को प्रदान करते है। यदि जगती और मण्डप वाले आदिनाथ प्रभु जिनालय का निर्माण नगर में किया जाता है तो यह रात्र मंगल तथा स्वर्ग लोक एवं इह लोक दोनों की सम्पदा प्रदान करता है। * *च्छा अधिकार से संकलित Q:TSTER ||:| चतुविनाशेन ॥ १२७ ताबीराः पुरम सुखावहाः । करिनाः कागदाः ॥ २८ नामष्टदव प्रजाराज्य सुखावहः । पानी दीमिया ॥ २२९ «ilzenzafa zentiETE PÊNAL न पुरेव पारदः ॥ ५३० जगल्या मण्डताः क्रीयन्ते वसु । तुम दीयतं राज्यं स्वर्गे ॥ १३२ लक्षणन्तखाश्च प्रार्च पश्चिम दिइमुखः । तपासाचा ध्ये सुखावहाः ।। १३२. प्राप-२ / १२५-१३२ वास्तु पारद अधिकार
SR No.090130
Book TitleDevshilp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnandi Maharaj
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy