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(देव शिल्प
(३११) घंटाकर्ण यक्ष धण्टाकर्ण यक्ष भी जैन शारान प्रभावका देव है । इनका स्वरुप विशिष्ट है । देवरूप में अठारह भुजायें होती हैं । गुजाओं में बज, तलवार, दण्ड, चक्र, मूराल, अंकुश, मुन्दर, बाण, तर्जनी मुट्रा डाल, शक्ति, मस्तक, नागपाश, धनु, घण्टा, कुटार, दो त्रिशूल होते हैं।
घण्टाकर्ण यक्ष को उपासा से भय एवं दुखों से रक्षा होती है। उपरार्ग भय के दुखों से रक्षा होती है। सभी प्राणी मात्र इनसे अभय पाते हैं, ऐसा माना जाता है।
वर्तमान में घण्टाकर्ण राम का एक विशिष्ट २५ पूजा जाने लगा है । यक्ष धनुष बाण चढ़ाकर खड़े हैं। पीले वाण का तरकश लगा है। कमर पर तलवार है। पाटली पर धीसा यंत्र लिखा है। कई जगह मूर्तियों में काम एवं हाथों में छोटी पंटियां बंधो हैं।
घण्टाका यक्ष को गणना बायन वीरों में की जाती है। श्वे. पर-परा में इनकी बहुत मान्यता है।
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VACHAMMAR
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घंटाकर्ण यक्ष