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________________ (देव शिल्प ३१० मणिभद्र यक्ष का स्वरुप __ मणिभद्र यक्ष का स्वरुप क्षेत्रपाल की ही भांति होता है, कित् गणिभद्र की गणना प्रमुख जैन शासन प्रभावक देव के रुप में की जाती है। इसी कारण उपासक इनकी वन्दना करते हैं। श्वेतांबर उपाश्रयों में मणिभद्र की स्थापना सिंदूर चर्चित काष्ट के रूप में भी की जाती है। इनका विशेष रुप इस प्रकार है - Pay वणं - श्याम वाहन - सप्त सूंड वाला ऐरावत हाथी मुख - वराह दंत पर- जिन चैत्य धारण भुजा - छह बायीं गुजा- अंकुश, तलवार, शक्ति दायी भुजा- ढाल, त्रिशूल, माला मणिभद्र जी (मानभद्र जी) सर्वाब्ह यक्ष सर्वान्ह यक्ष की प्रतिगायें जिन तीर्थकर प्रतिमाओं के साथ ही बनाई जाती हैं। इनका अन्य नाम सर्वानुभूति यक्ष है । ये अकृत्रिम चैत्यालय में रहते हैं। यहाँ भी जिन गंदिरों में इनकी स्थापना की जाती है । तिलोय पण्णत्ति में भी इनका उल्लेख है। इनका स्वरुप कुबेर की भांति होता है । सान्ह यक्ष दिव्य हाथी पर आरूढ़ होकर विचरण करते हैं। सर्वान्ह यक्ष जिन पूजा यज्ञ महोत्सयों की रक्षा करते हैं। सर्वान्हयक्ष का स्वरूप श्याम वाहन दिव्य गज भुजा हाथों में दो हाथों में धर्म चक्र गरतक पर धारण करते हैं दो हाथ अंजलि बल मुद्रा वर्ण चार
SR No.090130
Book TitleDevshilp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnandi Maharaj
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
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