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(देव शिल्प
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तीर्थंकर नषभनाथ चक्रेश्वरी देवी (अप्रतिहत चक्रा)
श्वे.- अग्रतिचक्रा
विशे
दिग.
श्वे.
कांति आसन वाहन भुजा
सुवर्ण कमल गरुड़
सुवर्ण कमल पर
बारह
दोनों तरम के दोहा नवजा, दोनों तरफ के चार-चार हाथों में चक्र, नीचे बायें हाथ में फल, नीये दायें हाथ में वरदान
आठ दाहिनी भुजा में वरदान, बाण, पाश, चक्र बायीं भुजा में धनुष, वन, चक्र, अंकुश
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चक्रेश्वरी देवी
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*प्रकारान्तर भुजा चार; ऊपर के दोनों हाथों में चक्र नीचे बायें हाथ में बिजौर का फल, नीचे दायें हाथ मे वरदान $प्रकारान्तर (श्रीपाल रास) - बाहन सिंह