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(देव शिल्प
जिन प्रतिमा का मान
समचतुरस पदमासन प्रतिमा का मान
ललाट से लगाकर गुहा स्थान तक के नाप ९ ताल के उपरोक्त ५२ भाग
घुटना
४ भाग
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५६ भाग
बत्थुसार के अनुसार १६ भाग की प्रतिमा बा || चाहिये जबकि प्रतिष्ठा भाग संग्रह में ५४ गाग का निर्देश
पद्मासन प्रतिमा में समसून प्रमाण पद्मासन प्रतिमा में निम्नलिखित चार माप एक समान रहना आवश्यक है : -
१. दायें घुटने से बायां धुटा २. दायें घुटने से बायां कंधा
बायें घुटने से दायां कंधा ४. नोचे से गरतक (पादपीट आसन से केशात तक)
दाहिने घुटने से बायें कंधे तक एक सूत्र, बायें घुटने से दाहिने को तवा दुसरा सूत्र. एक घुटने से दूसरे घुटने तक तीसरा सूत्र, नीचे वस्त्र की किनार से कपाल से केरा तक चौथा सूत्रा ये चारों सूत्र बराबर रहना चाहिये ! इस प्रतिमा को समचतुरस्र संस्थान प्रतिमा कहा जाता है। ऐसी पदमासन प्रतिभा की दाहिनो जंघा तथा पिण्डी के ऊपर बायां हाथ एवं बायां चरमण रखें। बायों जंधा एवं पिण्डी पर दाहिना चरण एवं दाहिना हाथ रखें । यह आसन पर्यकास.। कहा जाता है।
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