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(दव शिल्प
प्रतिभा का आसन सामान्य रुप से बैठक की मुद्रा आसन कहलाती है। प्रतिमा विधान में अनेकानेक आसनों (८४ तक) के उल्लेख हैं।
प्रतिमाओं के आसन के प्रमुख भेद - १. कायोत्सर्ग प्रतिमा - जिन प्रतिगाओं में सिर से पांव तक एक सूत्र में खड़ी हुई मुद्रा होती है
उन्हें कायोत्सर्ग प्रतिमा कहते हैं। २. पद्मासन प्रतिमा - जिन प्रतिमाओं में पालथी लगाकर दोनों हाथ गोद में रखे जाते हैं उसे
पद्मास.। या योगासन कहते हैं। ३. बद्धपद्मासन प्रतिमा - दोनों पैरों को बांधकर पालथी मारकर बैंठे तथा दोनों पंजे खुले दिखाई
दें। बायें हाथ के ऊपर दायां हाथ गोद में रखा हो। बुद्ध एवं जैन तीर्थकरों
की प्रतिमाएं इसी प्रकार रखी जाती है । इसे बद्ध पदमासन कहते हैं। ४. अर्ध पर्यकासन प्रतिमा - बैठक में एक पैर मोड़कर तथा दूसरे को नीचे लटकता रखा जाता है
इस आसन को अर्ध पर्यकासन कहते है। ५. भद्रासन प्रतिमा - भद्रासन में बैठक पर बैठकर दोनों पैर खुले रखे जाते हैं। ६. गोपालासन प्रतिमा - कृष्ण की बंसी बजातो खड़ी मूर्ति गोपालासन में होती है। ७. वीरासन प्रतिमा - एक पैर आधा खड़ा रखकर दूसरा घुटने से उक आहोती ति
वीरासन कहलाती है। ८. पर्यंकासन प्रतिमा - शेषशायी विष्णु अथवा बुद्ध निर्वाण की लेटी हुई मूर्ति पर्यकासन कहलाती
उत्कटासन
पद्मासन
वोरासन
गोपाल आसन
भंगासन
अर्धपथकासन
प्रेतासन
ललित आसा