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(देव शिल्प
गर्भगृह में प्रतिमा स्थापना का स्थान
गर्भगृह की पिछली दीवाल से गर्भगृह के मध्य बिन्दु तक के मध्य पृथक-पृथक स्थानों में विभिन्न देवताओं की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस हेतु विभिन्न विद्वानों के पृथक-पृथक मत हैं:
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प्रथम मत गर्भगृह की पिछली दीवाल से गर्भगृह के मध्य बिन्दु तक पांच भाग करें। मध्य बिन्दु से प्रारंभ कर पांचवें भाग में यक्ष, गंधर्व, क्षेत्रपाल, स्थापन कर सकते हैं। चौथे भाग में देवियों की स्थापना, तीसरे भाग में जिनदेव, कृष्ण, सूर्य, कार्तिकेय, दूसरे भाग में ब्रह्मा तथा प्रथम भाग में शिवलिंग स्थापित करें | मध्य बिन्दु से थोड़ा हटकर शिवलिंग स्थापित करें। *
द्वितीय मत- गर्भगृह की पिछली दीवाल से गर्भगृह के मध्य बिन्दु तक दस भाग करें। मध्य बिन्दु से प्रारंभ कर पहले भाग में ब्रह्मा, दूसरे भाग में हर और उमा, तीसरे भाग में उमा और देवियों, चौथे भाग में सूर्य, पांचवें भाग में बुद्ध, छटवे भाग में इन्द्र, सातवें भाग में जिनेन्द्र देव, आठवें भाग में गणेश और मातृका, नवमें भाग में गंधर्व, यक्ष, क्षेत्रपाल व दानव तथा दसवें भाग में दानव, राक्षस, ग्रह और मातृका की स्थापना करना चाहिये । **
तृतीय मत- गर्भगृह की पिछली दीवाल से गर्भगृह के मध्य बिन्दु तक अट्ठाईस भाग करें। मध्य बिन्दु से प्रारंभ कर दूसरे भाग में शालिग्राम और ब्रह्मा, तीरारे भाग में नकुलीश चौथे भाग में सावित्री, पांचवें भाग में रुद्र, अर्धनारीश्वर, छटवें भाग में कार्तिकेय, सातवें भाग में ब्रह्मा, सावित्री, सरस्वती, हिरण्यगर्भ, आठवें भाग में दशावतार, उमा, शिव, शेषशायी, नवमें भाग में मत्स्य, वराह, पद्मासन एवं ऊर्ध्वारान विष्णु, दसवें भाग में विश्वरूप, उमा, लक्ष्मी, ग्यारहवें भाग में अग्नि, बारहवें भाग में सूर्य, तेरहवें भाग में दुर्गा, लक्ष्मी, चौदहवें भाग में गणेश लक्ष्मी, वीतराग, जिनेन्द्र देव, पंद्रहवें भाग में ग्रह, सोलहवें भाग में मातृका, लक्ष्मी, देवियाँ, सत्रहवें भाग में गणदेव, अठारहवें भाग में भैरव, उन्नीसवें भाग
क्षेत्रपाल, बीसवें भाग में यक्षराज, इक्कीसवें भाग में हनुमान, बाईसवें भाग में मृगघोर, तेईसवें भाग में अघोर, चौबीसवें भाग में दैत्य, पच्चीसवें भाग में राक्षस, छब्बीसवें भाग में पिशाच तथा सत्ताईसवें भाग में भूत स्थापित करें। पहले और अट्ठाईसवें भाग में किसी को भी स्थापित न करें। # दीवाल से चिपकाकर प्रतिमा स्थापना का निषेध
गर्भगृह में प्रतिमा की स्थापना दीवाल से चिपकाकर कदापि न करें । देव प्रतिमा तथा महापुरुषों की प्रतिमा दीवाल से चिपकाकर स्थापित करना अत्यंत अशुभ है। चित्रों को दीवाल से चिपकाकर लगा सकते हैं। ##
*व. सा. ३ / ४५-४६, विवेक विलास, प्रासाद तिलक ।
** वास्तु मंजरी, वास्तु राज
#शि. २. ४ / १३८- २५६, ज्ञान प्रकाश, दीपाव, श्रीरार्णव, अ.पू. सूत्र ##. सा ३/४७, शि. र. १२ / २०४