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________________ (देव शिल्प ध्वजा पर देवता की प्रतिष्ठा विधि ध्वजाले हा" मशिन वर्मा के उपरानी जाने वाली प्रमुख धार्गिक क्रिया है। मन्दिर में जिन विम्ब की स्थापना के उपरान्त विधिपूर्वक ध्यजा का आरोहण किया जाता है। सर्वप्रथम सर्वान्ह यक्ष की पूजा करें - ॐ ही सर्वान्ह यक्ष सहित सर्वध्वज देवते एहि एहि संतोषट तिष्ठतिष्ट ठः ठः अत्र सन्निहितो भव वषट् इदं स्नपनपर्चनम् च गृहाण गृह।।। इस मन्त्र से आवाहन कर स्थापना करें। सर्वान्ह यक्ष की अष्ट द्रव्य से पूजा करें। इसके लिये निम्न विधि है सर्वोषधि सहित नौ कलशों की स्थापना करें। जल शुद्धि मन्त्र से जल को मन्त्रित करके सर्वान्ह यक्ष की मूर्ति के समक्ष अथवा ध्वज पट के समक्ष दर्पण स्थापन कर : गंध, पुष्प, गंगल, उपकरण आदि स्थापन करें। ध्वज पट के दर्पण में प्रतिबिम्ब का उपरोक्त मन्त्र से अभिषेक करें। साथ में सर्वान्ह यक्ष की प्रतिमा का पंचामृत अभिषेक करें। पश्चात आवाहन आदि कर मन्त्र से पूजा करें। फिर मुख, वस्त्र, नयनोन्मीलन, विलेपनादि कर ध्वजारोहण करना चाहिये। नयनोन्मीलन मन्न ॐ ही अहं नमः णमो अरिहंताण सर्वान्ह यक्षाय धर्मचक्र विराजिताय चतुर्भुजाय श्यामवर्णाय मजायिकढ़ाय सर्वजन नयन आल्हादन कराय नयनोन्मीलनमहं करोमि स्वाहा। इस मन्त्र से ध्यज पट पर चित्रित सर्वान्ह यक्ष का नयनोन्मीलन करें। स्वर्ण शलाका को दोनों आंखों पर फेरें। इस प्रकार ध्वजा पर देवता की प्रतिष्ठा राम्पन्न होती है। अब तीन कोकिला से संयुक्त बांरा दण्ड को दर्भमाला से बेष्टित करके अशोक, आम आदि के पत्ते बांधे। फिर ध्वजदण्ड की ठोक प्रकार अर्चना करके ध्वजारोहण के गड्ढे में शाल्यादि डालकर अर्ध चढ़ाये। नाना वाद्यों के वादन के साथ ध्वजा को दण्ड में बांधकर ध्वजारोहण कर देखें। सभी लोग णमोकार मन्त्र का पाठ करें। प्रतिष्ठाचार्य निम्न लिखित मन्त्र पढ़कर गन्दिर या वेदिका पर ध्वजारोहण करायें।
SR No.090130
Book TitleDevshilp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnandi Maharaj
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
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