________________
देव शिल्प
ध्वजा दण्ड की पाटली
ध्वजादण्ड की मर्कटी या पाटली जिसमें ध्वजा लटकाई जाती है अर्ध चन्द्राकार बनाएं। इसकी लम्बाई का प्रमाण ध्वजादण्ड की लम्बाई का छठवां भाग रखें तथा चौड़ाई लम्बाई से चौड़ाई आधी रखें। चौड़ाई की तीसरा भाग मोटाई रखें। इसके कोने में घंटियां लगाएं तथा ऊपर कलश लगाएं। *
मर्कटी का मान एक और विधि से निकाला जाता है (अ.सू. १४४) ध्वजादंड की लंबाई
पाटली की लंबाई
हाथ में
१ से ५
६ से १२
फुट में
२ से १० फुट
२१२
ध्वजादंड की चौड़ाई का सात गुना ध्वजादंड की चौड़ाई का छह गुना ध्वजादंड की चौड़ाई का पांच गुना
१२ से २४ फुट
२६ से १०० फुट
१३ से ५० पाटली की चौड़ाई का मान पाटली की लम्बाई के तीसरे भाग के बराबर रखें।
ध्वजादण्ड निर्माण करने की काष्ठ
ध्वजा दण्ड निर्माण करने के लिए बांस, अंजन, महुआ, शीशम अथवा खैर की लकड़ी का प्रयोग करें।
**
ध्वजादण्ड की ऊंचाई का मान निकालने की विधियां
१.
प्रासाद की खर शिला से कलश के अग्रभाग तक की ऊंचाई के एक तिहाई के बराबर मान का ध्वजादण्ड ज्येष्ठ मान का है। इसमें आठवां भाग कम करें तो मध्यम मान आयेगा। यदि चौथा भाग कम करें तो कनिष्ठ मान का ध्वजादण्ड होगा। #
* दण्ड दीर्घषडंशेन मर्कदयर्धेन विस्तृता ।
अर्धचन्द्राकृतिः पाश्र्वेषण्टो कलशस्तथा ।। प्रा. मं ४/४५ ** वंशमयोऽथ कर्तव्यः आंजनो मधुकस्तथा ।
सीसपः खादिरश्चैव पिण्डश्चैव तु कारयेत् || शि. २.५/८२ #दण्ड: कार्यस्तृतीयांशः शिलातः कलशान्तकम् । मध्यष्टशेन हीनोऽसौ ज्येष्ठ पादोन कव्यसः । प्रा. मं. ४/४१ ##प्रासाद व्यास मानेन दण्डोज्येष्ठः प्रकीर्तितः ।
मध्यी होनी दशांशन पंचमांशेन कन्यसः । प्रा. मं. ४/४२
२.
प्रासाद की चौड़ाई के बराबर ध्वजादण्ड की लम्बाई रखें। यह ज्येष्ठ मान है। इसका दसवां भाग कम करें तो मध्यम मान तथा पांचवां भाग कम करें तो कनिष्ठ मान होता है। यही मत अधिक प्रचलित भी है। ##