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(देव शिल्प
(२०६) शिखर के नमन (झुकाव) का विभाग शिखर के मूल में दस भाग करें। ऊपर रकध के नौ भाग करें। उनमें से डेढ डेढ़ भाग के दो प्रतिस्थ्य तथा दो दो भाग के दोनों कोने बनाएं । शेष तीन भाग नीचे तथा दो भाग ऊपर के बराबर का भद्र बनायें।
आमलसार मन्दिर के शिखर के स्कन्ध के ऊपर कुम्हार के चाक की आकृति मा गोल कलश आगलसार कहलाता है।
दोनों प्रतिरथ के गध्य की चौड़ाई के मान का गोल आगलसार बनाना चाहिये । इसकी ऊंचाई का मान चौडाई से आधा रखें। ऊंचाई के चार भाग करें। उनमें पौन भाग की ग्रीवा बनाएं। राया भाग का आमलसार बनाएं। एक भाग की चन्द्रिका बनाएं। एक भाग की आमलसारिका बनाएं। आगलसारिका गोल आकृति की होती है।
प्रा. ! ३२-३३ आमलसार का मान लिकालने की अन्य विशि
काधकी चौड़ाई के छह भाग तथा आगलसार की चौड़ाई सात भाग रखें । आमलसार की चौड़ाई के अट्ठाइस तथा ऊंचाई के चौदह भाग करें। ऊंचाई में तीन भाग की ग्रीधा रखें। पांच भाग का अंडक बनाएं। तीन भाग की चन्द्रिका बनाएं। तीन गाग की आमलसारिका रखें । आमलसार के मध्य गर्भ की चौड़ाई में साढ़े छह भाग निकलती आमासारिका रखें। इससे ढाई भाग निकलती चन्द्रिका रखें तथा इसरो पांच भाग निकला अंडक (आमलसार) रखें।
ज्ञान व दी. अ.९ आमलसार के नीचे शिखर के कोण रूप शिखर के आमलसार के नीचे और स्कन्ध के कोने में जिगदेव की प्रतिकृति रखी जाती है।
समिNिO
कलश
आमलसार
- SRAM
- -
मिल
-
आमलसार
ग्रीवा, आगलसार एवं कलश