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________________ (देव शिल्प) ( २०५० ग्रीवा, आमलसार तथा कलशकामान शिखर की ऊंचाई करने के पश्चात पद्मकोश की जो शेष ऊंचाई में ग्रीवा, आमलसार और कलश बनावें। शिखर के स्कन्ध से पद्मकोश के अन्तिम बिन्दु तक की ऊंचाई के सात भाग करें। उसमें से एक भाग की ग्रीया, डेढ़ भाग का आमलसार, डेढ़ भाग का पद्मछ्त्र (चन्द्रिका) तथा तीन भाग का कलश बनायें। द्विभाग की चौड़ाई वाले कलश का बिजौरा बनावें। कलश के अण्डा का विस्तार (चौड़ाई) प्रासाद के आठवें भाग का रखना चाहिये। शुक नासिका कामान छज्जा से शिखर के स्कन्ध तक की ऊंचाई के इक्कीस भाग करें। इनमें से ९, १०, ११, १२ या १३ भाग तक की शुकनासिका की ऊंचाई रखें। छज्जा के ऊपर शुकनासिका की ऊंचाई पांच प्रकार की मानी गई है। उनमें से शुकगासिंका की ऊंचाई के गौ भाग करें। इनमें से १,३,५,७,९ इन पांच भागों में से किसी भी भाग में सिंह स्थान की कल्पना करें। उस स्थान पर सिंह रखा जाता है। ** शुक नासिका के दोनों तरफ शिखर के आकार वाला मण्डप कपिली कहा जाता है। इसे कवली या कोली भी कहते हैं। ___ गर्भगृह के द्वार के ऊपर दाहिनी और बायीं ओर छह प्रकार से कपिली बना सकते हैं। उसकी ऊंचाई में शुक नासिका बन्नायें , यह प्रासाद की नासिका है। प्रासाद की चौड़ाई के दस भाग करें उसमें दो, तीन या चार भाग की अथवा आधा चौथाई एवं तिहाई इस प्रकार से छह प्रकार के मान से कपिली बनाते हैं। इन छह प्रकार की कपिली के नाम इस प्रकार हैं ## १. प्रासाद की चौड़ाई के दस भाग में से दो भाग की - अंचिता २. प्रासाद की चौड़ाई के तीन भाग में से दो भाग की - कुंचिता ३. प्रासाद की चौड़ाई के चार भाग में से दो भाग की - शस्या ४. प्रासाद की चौड़ाई के चौथे भाग बराबर की मध्यस्था ५. प्रासाद की चौड़ाई के तीसरे भाग बराबर की भ्रमा ६. प्रासाद की चौड़ाई के आधे भाग बराबर की सभ्रमा माग बराबर की - ------------------------------- * प्रा. ग.४/२३,२४,२५, **प्रा. मं.४/२६-२७, ## अ.सू. १३८ #प्रासादो दशभावाश्च द्वित्रिवेदांशसम्मिताः । प्रासादार्धन पादेन त्रिभागेनाथ निर्मिता ।। प्रा.मं.४/२९
SR No.090130
Book TitleDevshilp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnandi Maharaj
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
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