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(देव शिल्प विभिन्न प्रकार की जाति के प्रासादों में मण्डोवर की रचना पृथक पृथक शेत्तियों से की जाती है। सामान्य प्रकार के प्रासादों में मण्डोवर की ऊंचाई (छज्जा से प्रारंभ कर) के २७ भाग करें। #
१.खुर
पभाग २. कुम्भ
४ भाग ३. कलश
१,१/२ भाग ४. अंतराल
१/२ भाग ५. केवाल
१,१/२ भाग ६. मांची
१/२ भाग ७. जंघा
८ भाग ८. उगम
३ भाग ९. भरणी
५,१/२ भाग १०. केवाल
१,१/२ भाग ११. अंतराल
१/२ भाग १२. छज्जा
२, १/२ भाग छज्जा का निर्गम २ भाग करना चाहिये। नागर जाति के प्रासादों में मण्डीवर कीरचना
पीठ के ऊपर छज्जा के अन्त तक जो प्रासाद की ऊंचाई आये उसके १४४ भाग करें। उनका विभाजन इस प्रकार करें :१. खुरा- ५भाग
८. उरजंघा
१५ भाग २. कुंभा- २० भाग ९. भरणी
८ भाग ३. कलश- ८ भाग १०. शिरावटी
१० भाग ४. अंतराल- २,१/२ भाग ११. कपोतिका (केवाल) ८ भाग ५. केवाल- ८ भाग १२. अन्तराल
२,१/२ भाग ६. मंची- ९ भाग १३. छज्जा
१३ भाग ७. जंघा- ३५ भाग छज्जा का निर्गम १० भाग रखें।##
# प्रा.म.३/२९-३० ##प्र. नं. ३/२० से २३ दीवार्णव पांचवा अध्याय अ. पृ. सूत्र १२२