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________________ देव शिल्प १०८ अब मन्दिर स्थापनकर्ता को मस्तक पर तिलक कर रक्षा सूत्र बांधे तथा वह उत्तर की ओर मुख करके खड़े होकर निम्न मन्त्र का उच्चारण करते हुए भूमि पर खनन यंत्र शक्ति से प्रहार कर खनन करें 36 हूं फट् स्वाहा खनन करते समयं पत्र जितना जबिक भूमि में प्रविष्ट होता है उतनी ही अधिक मन्दिर वास्तु की आयु होती है। भूमि खनन समय का निर्णय अधोमुख नक्षत्रों में (मूल, आश्लेषा, कृतिका, विशाखा, पू. फा., पू.बा., पू.भा., भरणी, मघा ) में भूमि खनन प्रारंभ शुभ है। इन नक्षत्रों में अनुकूल चन्द्र तथा शुभ वारों में खनन प्रारंभ करें। * भूमि खनन के समय शुभाशुभ शकुन भूमि खनन प्रारंभ करते समय मंगल वचन, गीत, मंगल वस्तुओं का दर्शन, धर्मवाक्यों की ध्वनि, पुष्प या कल की प्राप्ति, बांसुरी, चौणा, मृदंग की ध्वनि अथवा इन वाद्ययन्त्रों का दर्शन शुभ माना जाता है। इसी प्रकार दही, दुर्वा, कुश, स्वर्ण, रजत, ताम्र, मोती, मूंगा, मणि, रत्न, वैर्ड्स, स्फटिक, सुखद मिट्टी, गारुड़ वृक्ष का कल खाद्य पदार्थ का मिलना अथवा दर्शन होना शुभ फलदायक माना जाता है। कांटा, करेले का वृक्ष, खजूर, सर्प, बिच्छू, पत्थर, वज, छिद्र, लोहे का मुदगर, केश, कपाल, कोयला, भस्म, चमड़ा, हड्डी नमक, रक्त, गज्जा का दर्शन अशुभ फलदायक माना जाता है। भूमि से केश, कपाल, कोयला आदि अशुभ पदार्थों का निकलना भी अशुभ माना जाता है। * अधोमुखे च नक्षत्रे, शुभेऽव्हि शुभ वासरे। चन्द्र तारानुकूले च खननारम्भणं शुभम् ।।
SR No.090130
Book TitleDevshilp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnandi Maharaj
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
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