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________________ (देव शिल्प निर्माण प्रारंभ पूर्व भूमि पूजन मन्दिर निर्माण प्रारम्भ करने के लिए सर्वप्रथम शुभ मुहूर्त का चयन विज्ञान प्रतिष्ठाचार्य से कर लेना चाहिये । मन्दिर निर्माण कर्ता व्यक्तियों को एवं समाज को परम पूज्य आचार्य परमेष्ठी से विनय पूर्वक मन्दिर निर्माण कार्य आरम्भ करने के लिए विधिपूर्वक निवेदन करना चाहिये। आशीर्वाद प्राप्त कर चतुर्विद संध की उपस्थिति में समस्त समाज के साथ प्रभु के प्रति भक्तिभाव रखते हुए अभिमान आदि कषाय विचारों को त्याग कर वास्तु निर्माण हेतु भूगि पूजन करना चाहिये । भूमि पूजन विधि के द्वारा वहाँ के निवासी देवों से इस सत्य कार्य को करने की अनुमति एवं सहयोग की प्रार्थना करना चाहिये । मन्दिर निर्माण कर्ता को अत्यन्त प्रसन्नता पूर्वक विनय गुण से सहित होकर भूमि पूजनादि कार्यों को सम्पन्न करने से कार्य निर्विघ्न होता है । इस अवसर पर प्रतिष्ठाचार्य एवं सूत्रधार को यथोचित सम्मान करना चाहिये। निर्माण कार्य प्रारंभ हेतु भूमि खनन विधि ___ निर्माण कार्य प्रारंभ करने से पूर्व विधि विधान पूर्वक भगवान जिनेन्द्र की पूजा करें। तत्पश्चात् भूमि को सवौषधि एवं पंचामृत से सिंचन करें। इसके उपरांत वास्तुपूजन भूमिपूजन आदि विधान करके कार्यारम्भ करना चाहिये । मन्दिर के लिए नींव खोदने का कार्य ईशान दिशा से करना चाहिये । इसी भाग में अथवा मध्य में कूर्म शिला की स्थापना करके मन्दिर निर्माण कार्यारम्भ करना चाहिये। खनन यन्त्र (कुदाल) कामाप भन्दिर निर्माण का कार्य प्रारंभ करने के लिये प्रयुक्त किया जाने वाला यन्त्र (कुदाल) का गाप विषम अंगुल में रखना श्रेयस्कर है। यदि इसका माप सम अंगुल में है तो इससे निर्माता को कन्या प्राप्ति का लाभ होगा जबकि विषमांगुल माप के यन्त्र से पुत्र प्राप्ति का लाभ होगा। मध्यांगुल होने पर विपरीत कल तथा दुख होगा। खनन यन्त्र का शुद्धिकरण सर्वप्रथम नये खनन यंत्र को पंचामृत से सिंचन कर शुद्ध करें। ऐसा करते समय निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करें: " की शू कोंकः" इसके पश्चात यन्त्र पर केशर से स्वस्तिक बनाकर पंचवर्णसूत्र (कलावा) बांधना चाहिये।
SR No.090130
Book TitleDevshilp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnandi Maharaj
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
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