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(देव शिल्प
(१७) चौबीस जिनालयों का स्थापना क्रम-दो विधियाँ
___ यदि चौबीस जिनालयों का मन्दिर ब-पाया जाता है तो उसमें तीर्थकरों की पृथक-पृथक रश्चापना करना होता है। ऐसी स्थिति में एक तीर्थंकर को प्रतिमा मूल नायक के रूप में स्थापित करना पड़ता है। अन्य तीथंकारों की प्रतिभा पृष्टिमार्ग या प्रदक्षिणा क्रम में सात पूर्व - दक्षिण - पश्चिम - उतार इस क्रम में स्थापित करना चाहिये। जिस यातार मूल - नायक प्रतिमा स्थापित की जाये उस पंक्ति में सरस्वती देवी की प्रतिमा स्थापित करना चाहिये।
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चौबीस जिनालयों का स्थापना क्रम- दो विधियाँ
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