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________________ (देव शिल्प ८८) एकदम वृत्ताकार अश्या पाकार वर्माका नििध में चारों तरफ जाली लगाकर एक क्षेत्र बनाया जाता है । इसके मध्य भाग में एक स्तंभ लगाया जाता है। स्तंभ वृत्ताकार, अष्टास्र अथवा वर्गाकार (चौकोर) होना चाहिए। स्तंभ पर आकर्षक कलाकृतियां बनाई जाती है। स्तंभ के ऊपर एक चक्राकार वृत्त लगाया जाता है इसे धर्मचक्र भी कहते है। इस चक्र में चौबीस तीर्थंकरों के प्रतीक चौबीस आरे होते है। सामान्यतः इसका आकार(व्यास) स्तंभ की ऊँचाई का एक तिहाई अथवा एक चौथाई भाग होता है। कीर्ति स्तंभों की अन्य कलात्मक रचना भी की जाती है । घण्टाघर नुमा शैली में भी इसे बनाते है। कीर्ति स्तंभ के नीचे के भाग में अनेकान्त, स्याद्वाद, अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह आदि दर्शाने चित्र वाले बोध वाक्य अथवा धर्मसूत्र भी लिखे अथवा उत्कीर्ण किये जाते है। महुआ(गुजरात) में ऐसा स्तंभ है। चित्तौड़गढ़ का कीर्ति स्तंभ विश्वविख्यात है। भगवान महावीर के २५०० वें निर्वाण वर्ष के उपलक्ष्य में सारे भारत में अनेकों नगरों में प्रमुख स्थलों पर महावीर कीर्ति स्तम्भ की स्थापना की गई है। धर्म चक्र
SR No.090130
Book TitleDevshilp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnandi Maharaj
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
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