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दशाश्रुतस्कन्धनियुक्ति : एक अध्ययन बेच दिया। वैद्य ने भी उसे अपनी पत्नी बनाना चाहा। भट्टा उसकी भी पत्नी बनने के लिए सहमत नहीं हुई। भट्टा क्रोध में जलूक के प्रतिकूल वचन बोलती और उसकी इच्छा के विपरीत कार्य करती थी। वह शीलभङ्ग नहीं करना चाहता था। भट्टा रक्तस्राव के कारण कुरूप हो गई। इधर उसका भाई कार्यवश वहाँ आया और धन देकर उसे छुड़ा लाया। वमन और विरेचन द्वारा पुन: उसे रूपवती बनाकर मन्त्री के पास भेजा। स्वीकार कर अमात्य उसे घर लाया। ___ भट्टा ने क्रोध परस्सर मान का दोष देखकर अभिग्रह किया मैं मान अथवा क्रोध कभी नहीं करूंगी। ६. माया कषाय विषयक पाण्डुरार्या दृष्टान्त
पासत्थि पंडरज्जा परिण गुरुमूल णाय अभिओगा। पुच्छति च पडिक्कमणे, पुवमासा चउत्थम्मि ।।१०८।। अपडिक्कम सोहम्मे अभिओगा देवि सक्कतोसरणं। हत्थिणि वायणिसग्गो गोतमपुच्छा य वागरणं ।।१०९।।
- दशा०नि०१॥ मायाए पंडरज्जा नाम साधुणीसा विज्जासिद्धा आभिओग्गाणिबहूणिजाणति। जणो से पणयकरसिरो अच्छति। सा अण्णदा कदापि आयरियं भण ति भत्तं पच्चक्खावेह, ताहे गुरुहिंसव्व छड्डाविता पच्चक्खातं। ताहेस भत्ते पच्चक्खाते।।
एगाणिया अच्छति, ण कोइ तं आढाति ताहे ताए विज्जाए आवाहितो जणो आगंतुमारद्धो पुष्फगंधाणि धित्तूण। आयरिएहिं दोवि पुच्छिता वग्गा भणंति-ण याणामो। सा पुच्छिता भणति-आमंमए विज्जाए कतं। तेहिं भणितं-वोसिर। ताए वोसष्टुं, द्वितो लोगो आगंतुं। सा पुणो एगागी पुणो आवाहितं सिद्धं च ततियं अणालोइतुं कालगता सोधम्मे कप्पे एरावणस्स अग्गमहिसी जाता ताहे आगंतूण भगवतो पुरतो ठिच्चा हथिणी होउं महता सद्देण वाउक्कायं करेति। पुच्छा उहिता वागरितो भगवता पुव्वभवो से। अण्णोवि कोपि साधू साधूणी वा मा एवं काहिति। सोवि एरिसं पाविहित्ति मत्तितेण वा तं करेति। तम्हा माया ण कायव्वा। लोभे लुद्धणंदो कालइत्तो जेण अप्पणो पादा भग्गा, तम्हा लोभो ण कातव्यो।
- द००। णाणातितियस्स पासे ठिता पासत्थी, सरीरोवकरणब (पा) उसाणिच्चं सुक्किल्लवासपरिहरिता विचिट्ठइ त्ति। लोगेण से णामं ‘कयं पंडरज्ज' त्ति। ..
सा य विज्जा-मंत-वसीकरणुच्चाटणकोडएसु य कुसला जणेसु पउज्जति।