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दशाश्रुतस्कन्धनियुक्ति : एक अध्ययन दिया– जिससे शरणागत पर प्रहार करते हैं उससे प्रहार करो। द्रमक के इस उत्तर पर वह सोचने लगा- शरणागत पर प्रहार नहीं किया जाता है और उसने द्रमक को मुक्त कर दिया। ___ यदि धर्म के उस अज्ञानी ने भी मुक्त कर दिया तो पुन: परलोक से भयभीत वात्सल्य के जानकार क्यों नहीं सम्यक्त्व का पालन करेगें। ४. क्रोध कषाय विषयक मरुक दृष्टान्त
अवहंत गोण मरुए चउण्ह वप्पाण उक्करो उवरिं। छोढुं मए सुवट्ठाऽतिकोवे णो देमो पच्छित्तं ।।१०३।।
- द०नि०१३॥
एत्थ एसेव दमगो।
अधवा - एगो मरुगो, तस्स इक्को बइल्लो। सो य तं गहाय केयारे हलेण वाहेमि त्ति गतो। सो य परिस्संतो पडितो, ण तरति उठेउं।
ताहे तेण धिज्जातिएण हणंतेण तस्स उवरि तुत्तगो भग्गो, तहावि ण उट्ठीत। अण्णकट्ठाभावे लेट्ठएहिं हणिउमारद्धो, एगकेयारलेझुएहि, तहावि णोहितो, एवं चउण्ह केयाराण उक्केरण आहतो, णो उद्वितो।
तो तेण लेटुपुञ्जो कतो, मओ सो गोणो। ___ ताहे सो बंभणो गोवज्झविसोहणत्थं धिज्जातियाणमुवट्ठितो। तेण जहावत्तं कहियं, भणियं च तेण - अज्ज वि तस्सोवरिं मे कोहो ण फिट्टति।
ताहे सो धिज्जातिएहिं भणिओ - तुमं अतिक्कोही, णत्थि ते सुद्धी, ण ते पच्छितं देमो, सव्वलोगेण वज्जितो सोऽसिलोगपडितो जातो। ___ एवं साहुणा एरिसो कोवो ण कायव्वो। अह करेज्ज तो उदगरातीसमाणेण भवियव्वं। जो पुण पक्खिय- चाउम्मासिय-संवच्छरिएसु ण उवसमति तस्स विवेगो कायव्वो, जहा धिज्जातियस्स।
- नि०भा०चू०। कथा-सारांश
मरुक नामक व्यक्ति के पास एक बैल था। वह उसे जोतने के लिए खेत पर ले गया। जोतते-जोतते बैल थककर गिर पड़ा और उठ न सका। तब मरुक ने उसे इतना मारा कि मारते-मारते पैरा या चाबुक टूट गया, तब भी बैल नहीं उठा। एक