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दशाश्रुतस्कन्धनियुक्ति : एक अध्ययन
से द्विरुक्तकों ने कहा- हे! हे! लोगों आश्चर्य देखो! एक बैल वाली गाड़ी है। इस पर कुम्हार बोला- हे लोगों! देखो! इस गाँव का खलिहान जल रहा है और उसने गाड़ी गाँव के बीच ले जाकर खड़ी कर दी। मौका देखकर गाँव वालों ने उसका एक बैल चुरा लिया। बर्तन बिक जाने के बाद आने पर उसने गाँव वालों से बैल वापस देने की बार-बार याचना की। गाँव वालों ने कहा- तुम एक ही बैल के साथ आये हो। बैल वापस न मिलने से क्रुद्ध कुम्हार शरदकाल में गाँव वालों के धान्य से भरे खलिहान को लगातार सात वर्ष तक आग लगाता रहा। आँठवें वर्ष गाँव वाले इकट्ठे होकर घोषणा करवाये कि जिसके प्रति भी हमने अपराध किया है, वह हमें क्षमा करे, परिवार सहित हमारा नाश न करे। तब कुम्हार बोला- बैल मुझे वापस दो। बैल मिल जाने पर उसने गाँव वालों को क्षमा कर दिया।
यदि उन असंयत अज्ञानी लोगों द्वारा स्वकृत अपराध हेतु क्षमा माँगी गयी और उस असंयमी कुम्हार ने क्षमा भी कर दिया, तो पुनः संयत ज्ञानियों द्वारा भी अपने प्रति किये गये अपराध के लिए पर्युषण पर्व में अवश्य क्षमा कर देनी चाहिए। ऐसा करने से संयम आराधना होती है।
२. चम्पाकुमार नन्दी या अनङ्गसेन दृष्टान्त
चंपाकुमारनंदी पंचऽच्छर थेरनयण दुमऽवलए । विह पासणया सावग इंगिणि उववाय णंदिसरे ।।१३।। बोहण पडिमा उदयण पभावउप्याय देवदत्ताते । मरणुयवाए तायस, यणं तह भीसणा समणा ।।९४।। गंधार गिरी देवय, पडिमा गुलिया गिलाण पडियरेण । । पज्जोयहरण दोक्खर रण गहणा मेऽज्ज ओसवणा ।।९५।। दासो दासीवतितो छत्तट्ठिय जो घरे य वत्थव्यो । आणं कोवेमाणो हंतव्यो बंधियव्वो य।।९६।।
- द०नि०।।
अहवादिलुतोउहायणो राया तारिसे अवराहे पज्जोतोसावतेत्ति-तारिसे अवराधे पज्जोओ सावगोत्ति काऊण मोत्ण खमितो। एवं पज्जोसवणाए परलोगभीतेण सव्वस्स खामेयव्वं।।
-द००। इहेव जंबुद्दीवे अड्डभरहे 'चंपा' णाम णगरी, "अणंगसेणो' णाम सुवण्णगारो। सो य अतीव थीलोलो। सो य जं रूववई कण्णं पासति तं बहुं दविणजायं दाउं परिणेइ। एवं किल तेण पंच इत्थिसया परिणीया। सो ताहिं सद्धिं माणुस्सए भोगे भुंजमाणो