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[ चिविलास समापान :-- उपचार से द्रव्य को अनित्य कहते हैं । लक्षण की अपेक्षा पर्याय को प्रनित्य कहते हैं।
शंका - उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य सत्ता का लक्षण है और सत्ता द्रव्य का लक्षण है, अतः उसे पर्याय का लक्षण नहीं कहना चाहिए। ___समाधान :- उत्पाद-व्यय भी पर्यायसत्ता का ही लक्षण है, जिसे उपचार से द्रव्य में कहा है । नयचक (पालापद्धति) में कहा भी है - "द्रव्ये पर्यायोपचारः, पर्याये द्रच्योपचारः।" द्रव्य में पर्याय का उपचार और पर्याय में द्रव्य का उपचार किया जाता है । अतः उपचार से ही कथन किया गया है। अनित्य द्रव्य मूलभूत वस्तु नहीं है - ऐसा जानना चाहिए ।
द्रव्य की अपेक्षा एक है और गुरा-पर्याय स्वभाव की अपेक्षा अनेक है। स्वभाव से एक है, अतः उपचार से अनेक कहा है । एक स्वभाव सिद्ध करने के लिए अनेकपना उपचार से सिद्ध किया है।
कारणरूप द्रव्य पूर्वपरिणाम से युक्त है और कार्यरूप द्रव्य उत्तरपरिणाम से युक्त है । कारण-कार्यरूप स्वभाव द्रव्य हो में है, अतः नय की विवक्षा से द्रव्य में कारण कार्य सिद्ध करने में दोष नहीं । पूर्वपरिणामग्राहकनय को उत्तरपरिणामग्राहकनय द्वारा सिद्ध करना चाहिए । ___ सामान्य द्रव्यवीर्य का कथन विशेष गुण-पर्यायवीर्य के द्वारा किया जाता है । अतः सामान्य-विशेषरूप है।