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[ चिपिलास
यह जीवनशक्ति अनादिनिधन अनन्त महिमा को धारण करती है, सब शक्तियों में सार है और सबका जीव (बीजरूप) है। ऐसी जीवनशक्ति को जानने से यह जीव जगत-पूज्य पद को प्राप्त करता है, अतः जीवन शक्ति को अवश्य जानना चाहिए। प्रभुत्वशक्ति
जो अखण्डित प्रतापवाली और स्वतंत्रता से शोभित है, उसे प्रभुत्वशक्ति कहते हैं । सामान्यदृष्टि से एकरूप वस्तु का प्रभुत्व शोभित होता है और विशेषदृष्टि से द्रव्य का प्रभुत्व पृथक् है, गुरण का प्रभुत्व पृथक् है और पर्याय का प्रभुत्व पृथक् है ।
शंका:- द्रव्य के प्रभुत्व से गुण और पर्याय का प्रभुत्व है तथा गुण और पर्याय के प्रभुत्व से द्रब्ध का प्रभुत्व है - ऐसा क्यों है?
समाधान :- द्रव्य से गुण और पर्याय हैं तथा गुण और पर्याय से द्रव्य है । द्रव्य, गुणो है और गुण, गुण है । गुणी से गुण की सिद्धि है और गुण से गुरणी की सिद्धि है।
अब विशेष प्रभुत्व का कथन करते हैं :द्रव्य का प्रभुत्व
द्रव्य में जो प्रभुत्व है, वह गुण और पर्याय के अनन्त प्रभुत्व सहित है, अखण्डित प्रताप सहित है । वह गुण और