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[चिदविलास
उस सममिरूढ़ के अनेक भेद हैं। जैसे सादिरूढ़, अनादिरूढ़, सार्थिकरूढ़, प्रार्थिक रूड़, भेदरूढ़, अभेदरूढ़,' विधिरूढ, प्रतिषेधरूढ इत्यादि । एवंभूतनय ___ जैसा पदार्थ हो, वैसा ही उसका निरूपण करना 'एवंभूतनय' है । जैसे – इन्दतीति इन्द्रः, न शक्रः । (अर्थात् देवराज जब परमैश्वर्य में मग्न होगा, तब उसे इन्द्र ही कहा जावेगा, शक्र नहीं।) पर्यायाथिकनय
१. अनादिनित्यपर्यायाथिक, जैसे नित्य मेरु आदि । २. सादिनित्यपर्यायाथिक, जैसे सिद्धपर्याय ।।
३ सत्ता को गौण करके उत्पाद और व्यय को ग्रहण करनेवाले स्वभाव से उत्पन्न होनेवाला शुद्धपर्यायार्थिक, जैसे प्रत्येक समय में पर्याय विनष्ट होती हैं।
४. सत्तासापेक्ष स्वभाव अनित्य प्रशुद्धपर्यायाथिक, जैसे एक ही समय में पर्याय त्रयात्मक है।
५. कर्मों की उपाधि से निरपेक्ष स्वभाववाला नित्यशुद्धद्रव्य-पर्यायाथिक, जैसे सिद्धों की पर्यायों के समान संसारियों की पर्याय भी शुद्ध हैं ।
६. कर्मों की उपाधि से सापेक्ष हैं स्वभाव जिसका ऐसा