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[ चिदविलास
नष्ट हुआ | जीव उत्पन्न हुआ, जीव मरा । पुद्गल स्कंधरूप हुआ या कर्मरूप हुन या अविभागी परमाणु हुआ । संसारपरिणति नष्ट हुई, सिद्धपरिणति उत्पन्न हुई । श्रावरण (ज्ञानावरणी और दर्शनावरणी) मोह ( मोहनीय ) और अन्तराय कर्म ही की रुकावट नष्ट हुई तथा प्रनन्तज्ञान, अनन्त दर्शन, अनन्त चारित्र और अनन्त वीर्य प्रगट हुआ ।
मिथ्यात्व गया और सम्यक्त्व हुआ । अशुद्धता गई, शुद्धता हुई । पुद्गल के द्वारा जीव बँधा, जीव का निमित्त पाकर पुद्गल कर्मरूप हुए । जीव ने कर्मों का नाश किया।
यह विनष्ट हुआ, यह उत्पन्न हुआ - इस प्रकार उत्पन्न होनेवाले और विनष्ट होने वाले भाव पर्याय ही के होने से सभी व्यवहार नाम पाते हैं ।
एक आकाश के लोक और अलोक - ऐसे भेद करना । काल की वर्तना के अतीत, अनागत और वर्तमान एवं अन्य भेद करना । एक ही वस्तु के द्रव्य, गुण और पर्याय के द्वारा भेद करना एक जीववस्तु के बहिरात्मा, अन्तरात्मा और परमात्मा - ऐसे भेद करना । एक द्रव्यसमूह को श्रसंख्यात भेदों के द्वारा तथा अनन्त प्रदेशों के द्वारा भेद करना । एक द्रव्य की एक पर्याय को अनन्त परिणामों की अपेक्षा से भेद करना । एक द्रव्यसमूह को प्रसंख्यातवें भाग