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द्रव्याथिकनय ]
[ ६५ के एक स्कंधमें जितने भी परमाणु हैं, वे सभी अविभागी परमाणु की भांति शुद्ध हैं।
२. उत्पाद-व्यय को गौणता करके सत्ताग्राहक शुद्धद्रव्याथिकनय से स्कंध में जितने भी परमाणु हैं, सभी नित्य हैं।
३. भेदकल्पनानिरपेक्ष शुद्धद्रव्याथिकनय से स्कंध के सभी परमाणु अपने-अपने गुण-पर्याय से प्रभेद हैं । ___४. द्वयक प्रादि सापेक्ष अशुद्धद्रव्याथिकनय से स्कंध पादि को अशुद्धपुद्गलद्रव्य कहते हैं।
५. सत्ता को गौरण करके उत्पाद-व्ययग्राहक अशुद्धद्रव्याथिकनय से स्कंध के सभी परमाणु अनित्य हैं।
६. भेदकल्पना सापेक्ष अशुद्ध द्रव्याथिकनय से गुणी से गुण का भेद करते हैं।
७. स्वद्रव्यादिचतुष्टयग्राहक द्रव्याथिकनय से पुद्गलद्रव्य अस्तिरूप है।
८. परद्रव्यादिचतुष्टयग्राहक द्रव्याधिकनय से पुद्गलद्रव्य नास्तिरूप है।
६. अन्वयद्रव्याथिकनय से पुद्गल द्रव्य गुरण-पर्यायस्वभावसहित है।
१०. परमभावग्राहक द्रव्याथिकनय से पुद्गलद्रव्य मूत्तिक एवं जड़स्वभाववाला है।