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पण्डित श्री वीपचन्दजी शाह फासलीवालकृत
चिद्विलास
मंगलाचरण
अविचल ज्ञान प्रकाशमय, गुग अनन्त के थान । ध्यान धरत शिष पाइए, परम सिद्ध भगवान ।।
इस मंगलाचरण का तात्पर्य यह हुआ कि जो अनन्त चित्शक्ति से मंडित हैं - ऐसे परमसिद्ध परमेश्वर को नमस्कार करके में यह चिद्विलास नामक ग्रन्थ लिख रहा हूँ।