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[ विलास
प्रमेय, संशय, प्रयोजन, दृष्टान्त, सिद्धान्त, अवयव, तर्क, निर्णय, वाद, जल्प, पितण्डा, हेत्वाभास, छल, जाति और निग्रहस्थान - ये सोलह तत्त्व बतलाये हैं ! प्रत्यक्ष, उपमा, अनुमान और आगम - ये चार प्रमाण कहे हैं । नित्यादि एकान्तवाद है । दुःख, जन्मप्रवृत्ति दोष, मिथ्याज्ञान का उत्तरोत्तर नाश मोक्षमार्ग है । वे छह इन्द्रियाँ, उनके छह विषय, छह बुद्धियाँ, एक शरीर, एक सुख और एक दु.ख - इन इक्कीस प्रकार के दुःखों के अत्यन्त उच्छेद (क्षय) को मोक्ष मानते हैं ।
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बौद्धमत में लाल वस्त्र धारण करनेवाले उनके बुद्धदेव ने दुःख, समुदाय, निरोध और मोक्षमार्ग - ये चार तत्त्व तथा प्रत्यक्ष और अनुमान ये दो प्रमारण कहे हैं । क्षणिकान्तवाद अर्थात् सर्वक्षणिकवाद है । तथा सर्वनैरात्म्यवासना मोक्षमार्ग है । वासना का अर्थ है 'क्लेश का नाश' और ज्ञान (बुद्धि) के नाश का 'मोक्ष' अर्थ हैं ।
शैवमत में शिवदेव ने द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष और समवाय - ये छह तत्त्व तथा प्रत्यक्ष, अनुमान और आगम - ये तीन प्रमाणवाद बताए है | ये नैयायिकों की भांति मोक्षमार्ग मानते है | बुद्धि, सुख, दुःख, इच्छा, द्व ेष, प्रयत्न, धर्म, अधर्म और संस्कार 'मोक्ष' मानते हैं ।
इन नो का अत्यन्त नाश ही
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