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कारण-कार्य के तीन भेद ]
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को निजग ग स्वयं करता है। द्रव्य के बिना गण नहीं होता, अतः ग णरूप कार्य को द्रव्य कारण है। पर्याय न हो तो गुण रूप कौन परिणमन करता ? अतः पर्याय कारण है और ग ण कार्य है।
ऐसे अनेक भेद गणकारण कार्य के हैं ।
(स) पर्यायकारणकार्य :- (१) 'द्रव्य-गण' पर्याय का कारण है और 'पर्याय' कार्य है, क्योंकि द्रव्य के बिना पर्याय नहीं होती। जैसे समुद्र के बिना तरंग नहीं होती, वैसे ही पर्याय का आधार द्रव्य है, द्रव्य ही से परिणति (पर्याय) उत्पन्न होती है । पालापपद्धति में कहा भी है :
अनादिनिधने द्रव्ये स्वपर्यायाः प्रतिक्षणम् । उन्म अन्ति निमज्जन्ति जलकल्लोलबज्जले ॥१॥ इसप्रकार पर्वाय का कारण द्रव्य है ।
(२) अब गुग्ग-पर्याय का कारण कहते हैं । गण का समुदाय द्रव्य है । ग ण के बिना द्रव्य नहीं होता और द्रव्य के बिना पर्याय नहीं होती - एक तो यह विशेषण है और दूसरा विशेषण यह है कि गण के बिना गणपरिणति नहीं होती; अतः गुण, पर्याय का कारण है। गुण का पर्यायरूप परिणमन होता है, तब गणपरिणति नाम प्राप्त होता हैं, अतः ग ण कारण है और पर्याय कार्य है।
(३) पर्याय का कारण पर्याय हो है । पर्याय की सत्ता,