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[ चिदविलास कारण नहीं है, गुण भी गुण का कारण है और गुण ही कार्य है । एक सत्तागुण सब गुणों का कारण है और सब गुण उसके कार्य हैं। एक सूक्ष्म गुण सब गुणों का कारण है और सब गण कार्य हैं। एक अगुरुलघुगुण सब गुणों का कारण है औरसब गण उसके कार्य हैं । एक प्रदेशवगण सब ग णों काकारण है और सब गण उसके कार्य हैं।
अब कहते हैं कि उसी ग ण कारण उसी गण में होता है । सत्ता का निजकारण सत्ता ही में है । द्रव्य-गुण-पर्याय की सत्ता 'है' (सत्) लक्षण को धारण करती है; अत: उत्पाद-व्यय-ध्रौव्यरूप (उत्पाद-व्यय-प्रौव्ययुक्त सत्) जो सत्ता का लक्षण हैं, वहीं सत्ता का कारण है और सत्ता उसका कार्य है । इसीप्रकार अग रुलघुत्वगण अपने कारण के द्वारा अपने कार्य को करता है । उस अगुलधुत्वगुरण का विकार पड्गणी वृद्धि-हानि है, उसी वृद्धि-हानि के द्वारा अग रुलधुत्वगण का कार्य उत्पन्न हुआ है; अतः स्वयं प्रग रुलघुगण स्वयं ही का कारण है। ऐसे ही सब गण स्वयं स्वयं के कारण हैं, स्वयं के कार्य को स्वयं ही करते हैं। ___अन्यग गनिमित्तकारणग्राहकनय से अन्य गण के कारण से अन्य गगरूप कार्य होता है और अन्यग - ग्राहकनिरपेक्षकेवलनिजग णग्राहकनय से अपने कारण-कार्य