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कालवीर्यशक्ति ] द्रव्य की वर्तना द्रव्यकाल है, गण की वर्तना गुणकाल है और पर्याय की वर्तना पर्यायकाल है ।
शंका :- द्रव्य की वर्तना तो गुण पर्याय की वर्तना से होती है, अतः गुण और पर्याय की वर्तना भी द्रव्य की वर्तना हुई । तथा द्रव्य की वर्तना से गुण-पर्याय की वर्तना है, अतः द्रव्य की वर्तना में गुण-पर्याय की वर्तना कहना चाहिए तथा गुण-पर्याय की वर्तना में द्रव्य की वर्तना कहना चाहिए।
समाधान :- हे भव्य ! तूने जो प्रश्न किया है, वह सत्य है; परन्तु जहाँ जो विवक्षा हो, उसी को कहना चाहिए । गुण और पर्याय के पुञ्ज की वर्तना द्रव्य की वर्तना है, क्योंकि गुण-पर्याय का पुज द्रव्य है और द्रव्य का स्वभाव गुण-पर्याय है, अत: द्रव्य अपने स्वभावरूप वर्तता है। इस प्रकार द्रब्यवर्तना में स्वभाव अाया।
___ इतनी विशेषता है कि गुणवर्तना का अलग से विचार किया जाय तो गुणवर्तना में गुणवर्सना है, ज्ञानवर्तना में ज्ञानवर्तना है और दर्शनवर्तना में दर्शनवर्तना है । इसप्रकार पृथक्-पृथक् गुणों में पृथक्-पृथक् गुणवर्तना है।
__ पर्याय में पर्यायवर्तना है, परन्तु उसमें इतनी विशेषता है कि जिससमय जो पर्याय है, उस पर्वाय की वर्तना उसमें है और दूसरे समय की पर्याय की वर्तना दूसरे समय की