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प० पू० आचार्य श्री सुमति सागर जी महाराज का जीवन-परिचय
मुनिश्री १०८ सुमतिसागर के रहस्य जीवन का नाम नरयोलाल मो था। आपके पिताश्री का नाम छिदुलाल जालथा माता जी का नाम श्रीमती चिरोंजादेवी सा। आपके परिवार में चार सगे भाई तपा एक बहन है, जिनका नाम मुनिलाल, बाबूलाल, रामस्वरुप तथा बहन का नाम कलाती हैं। आपकी धर्मपत्नी का माम राजश्री देवी है। आपके दो पुत्र मारेलाल और भागचन्द है, जिसका विवाह हो चुका हैं, दो पुत्रियाँ कपूरीबाई सथा शकुन्तलाबाई हैं, जिनका विवाह हो चका है, आप जैसवाल जैन हैं, जिनका गोत्र भंडारी है।
आपका जन्म श्यामपुरा परगना अम्ला जिला मुरैना में असोज सुबी ६ वि० सं० १९७४ को हा या । आपने मरा-पूरा परिवार छोड़कर विगम्बरो दीक्षा धारण की। .
जीवनी-मुनिश्री बाल्यकाल से ही धर्मप्रिय भै । आप काश्तकारी प्राडत नवा शुद्ध घी का व्यापार करते थे । आपका विवाह 12 वर्ष की उम्र में वि) स0 1986 में हुआ था और विवाह के थोड़े दिन बाद ही आपको रामलारे पक डाक् हरण कर ले गया लेकिन उसकी भी आपने कोई परवाह नहीं की । शासके पिता जी मांगी गई रकम को लेकर दुष्टाने गये । मेकिन इसके पूर्व ही 14 दिन में आ दु के गिरोह से भाग आये 1
वहाँ से आप अपना ग्राम छोडकर अम्बहा में दुकान करने लगे । वहां पर भी क ने पीछा नहीं छोड़ा और डाकुओं का गिरी रामा दालने आया और आपको पकड लिश । डाकुओं ने छाती पर बन्दुत्र की नोक से उनके पहने हुए गहने उतार लिये। फिर माल बताने की मजबूर किया तो आपने जबाव दिया कि मुझे क्या मालूम है, पिताजी जाने । पिसा जो ऊपर मकान पर सो रहे थे । पिताजी बो नानुम पठा तो मकान से कूद कर भाग गये । ठाकुओं ने मारने को कहा । इतने में आस-पास के लोगों ने हल्ला किश नो डाकु भाग गये। आप सम्बत् 2010 में गांव से मुरैना आकर रहने लगे और दुकानदारी कार्य करने नग ।।
पुरानोदय में श्री 108 श्री वाचायं विमल सागर जी महाराज (भिण्ड) संघ सहित मुरैना पश्चारे । संघ में नौन मुनि और आपिचा, जनका आदि थे । उनी गमय आपकी धर्मपत्नि ने पूछा कि आचार्य श्री को आहार देने की करी इण्या है। अगर आप प्राज्ञा दें नो में
व जल का त्याग ले लू और आप भी ले लिजिये । सब आप (मत्त्वीलाल) ने वहा आपसे बने नो आहार दो, हमने तो कुछ नहीं बनता । ना बाकी पत्नी ने शुद्र जल का त्याग कर दिया और ज्ञानवाई के साथ आहार दिया। फिर की धर्मपत्नी ने बहा, अब हम अपने कान पर चौका बनाकर आहार देंगे। तब दूसरे दिन घर पर श्री भाचा महाराज पधारे और ब न्हे । महागन बी की निगा आप पर पढ़ी