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-: गुरु
भक्ति
ज्ञान अपार है सुमति सागर नाम है
fugere जी पिता आपके विरोजाबाई माता जी (२) जैसवाल है बाति आपकी गोत्र कुल भंडारी जी (२) श्यामपुरा गांव हैं, शान्ति का धाम है
पंच महाव्रत धारो गुरुजी सहते परिवह भारी जो (२) नम्न धरा है रूप आपने तन से ममता द्वारी जी (२) राग का नाम है द्वेष का न काम है
देश देश में बिहार करते उपदेश देते भारी जी भव्य जीवों को निज सम करने मोह ममता टारी जो पर उपकारी है, गुणों के भंडारी हैं
चौबे काल में जैसे मुनि थे ऐसे गुरुवर आज जी (२) सम्यरूपी दीपक ले जाय मोक्ष महल के द्वार जी (२) तपस्या अपार है, जीवन का उद्धार है। हम अज्ञानी शिष्य का गुरु मिथ्या मेल छुडाना जी पारस के पास लोहा जाय पारस सम बन जाय जी "ज्ञान" की पुकार है, महिमा अपरंपार है
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जो कोई भव्य दर्शन करे उसका बेड़ा पार है ॥ टेक ॥
जो कोई भव्य दर्शन करे उसका बेड़ा पार है ॥
जो कोई भव्य दर्शन करे उसका बेड़ा पार
जो कोई भव्य दर्शन करे उसका बेड़ा पार है
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जो कोई भव्य दर्शन करे उसका बेड़ा पार है !
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जो कोई भव्य वर्शन करे उसका बेड़ा पार हैं ॥ ५ ॥ रचियता - आर्यिका १०५ ज्ञानमति