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________________ ३५६ ] चरणानुयोग- २ १. संसारविसग्गे, २. सिरिय संसारविसम्मे ३. मणुय संसार विओसग्गे, ४. देव संसारणिओसम्पे, से सं संसारविसगे । किम्मवियो २० ० कम्मविलोम अपि जहा १. गाणावरणियम्म २. बरिसणावरणिकम्मविभोगे, ३. मणिकमविओसम्य २. वायसम्मवियो ४. मोहम्म्मवियोगे ६. नामकम्म विओगे, ७. गोय कम्मविओोसणे, ? सेकसि से तं भावविओसग्गे ।' ८. अंतरायामविजये। काउसग फलं७२० प० 1 १ उष. सु. ३० उसग्गं भन्ते । जोने कि भगवा ? कायोत्सर्ग का फल वि. स. २५, उ. ७, सु. २५० -२५५ (१) गैर-संसार नरक गति बंधने के ७११-७२० का त्याग | (२) तिर तिच दति बंधने के कारणों का त्याग । (३) मनुज-संसारव्युत्सर्ग-मनुष्य गति बंधने के कारणों का त्याग । (४) देवसंसार-सदेव पति बंधने कारों का ध्यान यह संसार व्युत्क्ष का वर्णन है। प्र० - कर्म व्युत्सर्ग क्या है वह कितने प्रकार का है ? उ०- कर्म व्युत्सगं आठ प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार है (१) ज्ञानावरणीय आवरक कर्म पुगलों के बंधने के कारणों का त्याग ) (२) दर्शनावरणीय प्रम (आरमा के दर्शन (सामान्य ज्ञानगुण) के आवरक कर्म पुद्गलों के बंधने के कारणों का त्याग ।) (३) वेदनीय कर्म ब्युत्सगं ---- (साता असाता दुःखरूप वेदना के हेतुभूत पुद्गलों के बंधने के कारणों का त्याग । सुख दुःखात्मक अनुकूल-प्रतिकूल वेदन में आत्म को तद्-अभिन्न मानने का उत्सर्जन ) - ज्ञान के कायोत्सर्ग का फल ७२०० प्राप्त करता है ? (४) मोहनीय कर्म (आय के स्वप्रतीति-स्वानुभूति स्वभाव रामरूप गुण के नरक कर्म पुदुमलों के बंधने के कारणों का त्याग ) (५) आयुष्य कर्म स्वर्ग (किसी भव में पर्याय में रोक रखने वाले आयुष्यकर्म केसों के बंधने के कारणों का त्याग ) (६) नाम-कर्म-रस- (आत्मा के अर्तत्व गुण के वारक कर्म पुद्गलों के बंधने के कारणों का त्याग ।) (७) गोत्र-कर्म - व्युत्सर्ग --- (आत्मा के अगुरुलघुत्व (न भारीपन न इलापन) रूप गुण के आवरक कर्मों के बंधने के कारणों का त्याग ।) (4) अन्तराय -कर्म- व्युत्सर्ग- ( आत्मा के शक्ति रूप गुण के आवरक (अवरोध) कर्म पुद्गलों के बंधने के कारणों का त्याग ) यह कर्म व्युत्सगं है । इस प्रकार भाव व्युत्म का विवेचन है। को (म्या की मुद्रा) से जीव क्या
SR No.090120
Book TitleCharananuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size18 MB
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