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सूत्र १३५-६३६
आरोपणा के पांच प्रकार
तपाचार
[३१॥
चउबिहे पायन्छिते पण्णते, तं जहा
प्रायश्चित्त चार प्रकार का कहा गया है, पया-- १. णाण-पायच्छिते,
(१) ज्ञान रूप प्रायश्चित्त, २. दसण पायच्छित्ते,
(२) दर्शन रूप प्रायश्चित्त, ३. परित्त पायच्छिते,'
(३) चारित्र रूप प्रायश्चित्त, ४. वियत्तकिच्चे पायच्छिसे ।
(४) गीतार्थ रूप प्रायश्चित्त । चउम्बिहे पायच्छित्ते पणते, तं जहा
प्रायश्चित्त चार प्रकार का कहा गया है, १. पजिसेवणा पायच्छित्ते,
यथा-(१) प्रतिसेवना (दोष सेबन का) प्रायश्चित्त, २. संजोयणा पायच्छिते,
(२) संयोजना (अनेक संयुक्त दोषों का) प्रायश्चित्त, ३. प्रारोवणा पायजिते
(३) आरोपणा (बहन कराया जाने वाला अथवा, चल रहे
प्रायश्चित्त के बीच में दिया जाने वाला) प्रायश्चित्त । ४, पलिउंचणा पायच्छित्ते ।
(४) परिकुंचना (दोष छिपाने पर दिया जाने वाला विशेष) -ठाणं. अ. ४, उ. १, सु. २६३ प्रायश्चित्त । पंचविहे बायारकप्पे पण्णत्ते, तं जहा
आचार प्रकल्प (निशीय सूत्रोक्त प्रायश्चित्त) पाँच प्रकार
का कहा गया है । यथा१. मासिए उग्यातिए,
(१) मासिक-उद्घातिक-लघुमास रूप प्रायश्चित्त । २. मासिए अणुग्घातिए,
(२) मासिक अनुदधातिक गुरुमास रूप प्रायश्चित्त । ३. चाउम्मासिए उग्यातिए,
(३) चातुर्मासिक-उद्घातिक-लघु चार मास रूप प्रायश्चित्त । ४. चाउम्मासिए अणुग्धातिए,
(३) चातुर्मासिक-अनुवातिक-गुरु चार मास रूप प्राय
श्चित्त । ५. आरोषणा। -ठाणं, अ. ५. स. २,सु. ४३३ (५)आरोपणा वहन कराया जाने वाला भारोपणा रूप
प्रायश्चित।
भारोपणा-१(ख)
पंच-विहा आरोवणा६३६. आरोवणा पंचविष्ठा पणता, तं जहा
१. पट्टविया,
२. ठषिया,
आरोपणा के पांच प्रकार६३६. आरोपणा पाँच प्रकार की कही गई है, जैसे
(१) प्रस्थापिता आरोपणा-बह्न कराई जाने वाली आरोपणा ।
(२) स्थापिता आरोषणा-कुछ समय स्थापित कर रखी जाने वाली आरोपणा।
(३) कृत्स्ना भारोपणा-निरनुग्रह परिपूर्ण (एक मास की एक मास) दी जाने वाली आरोपणा ।
(४) अकृत्स्ना भारोपणा-अनुग्रह युक्त अपूर्ण (एक मास की १५ दिन, दो मास की २० दिन भादि) री जाने वाली भारोपणा)।
३. कसिणा,
४. अकसिगा,
१
ठागं. भ. ३, उ. ४, . २०३