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________________ सूत्र ६२५ वनमध्य चरा प्रतिमा तपाचार [३०३ शरसमोए से कप्पइ पर सीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, बारस के दिन भोजन और पानी की चार-बार दत्तियां चउ पागस्स-जाव-एबाए एसगाए एसमाणे लभेज्जा आहा- ग्रहण करमा कल्पता है यावत्-इस प्रकार के अभिग्रह से रज्जा, एयाए एसणाए एसमागे णो समेजा णो आहा- एपणा करते हुए आहार प्राप्त हो तो ग्रहण करे, यदि इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो ग्रहण रेज्जा । तेरसमोए से कप्पा तिन्नि वसीओ भोपणस्स पचिगाहेत्तए, तेरस के दिन भोजन और पानी की तीन-तीन दत्तियों तिम्ति पाणस्स-जाय-एयाए एसणाए एसमाणे सभेमा आहा- ग्रहण करना कल्पता है-यावत्-इम प्रकार के अभिग्रह से रेज्मा, एयाए एसगाए एसमाणे णो सभेजा णो आहा- एषणा करते हुए आहार प्राप्त हो तो ग्रहण करे, यदि इस प्रकार रेज्जा । के अभिग्रह से एपणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो ग्रहण न करे। चजबसमीए से कम्पह दो बत्तीओ भोथणस्स पडिगाहेत्तए, चौदस के दिन भोजन और पानी की दो-दो दत्तियाँ ग्रहण वो भोयणस्स-जाब-एयाए एसणाए एसमाणे सभेज्ना आहा- करना कल्पना है-यावत्-इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा रेग्मा, एयाए एसणाए एसमाणे णो लभेज्जा पो आहा- करते हुए आहार प्राप्त हो तो ग्रहण करे, यदि इस प्रकार के रेज्जा । अभिग्रह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो ग्रहण न करे। आमावासाए से कापड एगा वत्ती भोयणस्स एनिगाहेत्तए, अमावस्या के दिन भोजन और पानी की एक-एक दत्सी एगा पाणस्स-जाव.एकाए एसणाए एसमाणे लमज्जा आहा- महण करना कल्पता है-यावत्- इस प्रकार के अभिग्रह से रेज्जा, एयाए एसगाए एसमागे णो लज्जा णो आहा- एषणा करते हुए आहार प्राप्त हो तो ग्रहण करे, यदि इस प्रकार रेज्जा । के अभिग्रह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो ग्रहण न करे। मुक्कपक्सस्स पडियए से कप्पा दो बत्तीओ मोयणस्स परि- शुक्लपक्ष की प्रतिपदा के दिन भोजन और पानी की दो-दो गाहेत्तए, वो पाणस्स-जाव-एपाए एसणाए एसमाणे लभेगमा दत्तियाँ ग्रहण करना कल्पता है यावत्-इस प्रकार के अभिआहारज्जा, एयाए एसणाए एसमागे गो लभेजा गो ग्रह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त हो तो ग्रहण करे, यदि आहारेज्जा । इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो ग्रहण न करे। विजाए से कप्पड तिनि वत्तीओ भोगणस्स पडिगाहेत्तए, द्वितीया के दिन भोजन और पानी की तीन-तीन दत्तियाँ तिधि पाणस्स-जाब-एमाए एसगाए एसमाणे लमज्जा आहा- ग्रहण करना कल्पता है-पावत्-इस प्रकार के अभिग्रह से रेज्जा, एयाए एसमाए एसमाणे णो लर्भज्जा को आहा- एषणा करते हुए आहार प्राप्त हो तो ग्रहण करे, यदि इस प्रकार रेज्जा । के अभियह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो ग्रहण न करे। तड्याए से कप्पद घर दत्तीयो भोयणस्स पडिगाहेत्तए, पर तीज के दिन भोजन और पानी को चार-चार दत्तियों पागस्स-जाव-एयाए एसणाए एसमाणे लमज्जा आहारेजा, गहण करना कल्पता है यावत्-इस प्रकार के अभिग्रह से एयाए एसणाए एसमाणे णो सभेम्जा णो आहारेज्जा । एषणा करते हुए आहार प्राप्त हो तो ग्रहण करे, यदि इस प्रकार के अभिग्नह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो ग्रहण न करे। चउत्थीए से कप्यह पंच बत्तीओ मोयणस्स पडिगाहेसए, पंच चोथ के दिन भोजन और पानी की पांच-पाँच दत्तियां ग्रहण पाणस्स-जाव-एमाए एसणाए एसमाणे सभेज्जा आहारज्जा, करना कल्पता है-यावत्-इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा एपाए एसणाए एसमा णो लभेषमा णो माहारेजा । __करते हुए आहार प्राप्त हो तो ग्रहण करे, यदि इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो ग्रहण न करे।
SR No.090120
Book TitleCharananuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size18 MB
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