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________________ ३०४ परणानुयोग-२ वचमध्य चन्द्र प्रतिमा पत्र ६२५ पंचमीए से कप्पद छ बत्तीओ प्रोमणस पहिगाहेत्तए, छ पाचम के दिन भोजन और पानी की छह-छह दत्तिया राणस्स-जाव-एयाए एसणाए एसमाणे लमेण्जा आहारेज्जा, ग्रहण करना कल्पता है-यावत्- इस प्रकार के अभिग्रह से एयाए एसणाए एसमा गोलभेम्जा को आहारज्जा । एषणा करते हुए आहार प्राप्त हो तो ग्रहण करे, यदि इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो ग्रहण न करे। छट्ठीए से कप्पड सत्त रत्तीयो भोयणस्स पनिगाहेत्तए, सत्त छठ के दिन भोजन और पानी की सात-सात दत्तियो ग्रहण पाणस्स-जाव-एयाए एसणाए एसमाणे सभेजा आहारज्जा, करना कल्पता है-पावत्-हम प्रकार के अभिग्रह से एषणा एयाए एसणाए एसमाणे णो लमेज्जा णो आहारज्जा। करते हुए आहार प्राप्त हो तो ग्रहण करे, यदि इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा करते हुए माहार प्राप्त न हो तो ग्रहण न करे। सत्तमीए से कप्पा अट्ट दत्सीओ भोयणस्स पडिगाहेसए, मट्ट मातम के दिन भोजन और पानी की आठ-आठ दत्तियां पागस्स-जाव.एवाए एसणाए एसमाणे लमज्जा आहारज्जा, ग्रहण करना कल्पता है-यावत्---इस प्रकार के अभिग्रह से एपाए एसणाए एसमाणे णो लभेज्जा णो आहारेज्जा। एषणा करते हुए आहार प्राप्त हो तो ग्रहण करे, यदि इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो पहण में करे। अट्टमीए से पप्पर नब बत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए नत्र आठ के दिन भोजन और पानी की भय-नव दत्तियां ग्रहण पाणस्स-जाव-एमाए एसणाए एसमाणे लमज्जा आहारेमा, करता कल्पता है यावत्-इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा एयाए एसणाए एसमाणे णो लभेमा णो आहारेज्जा । करते हुए आहार प्राप्त हो तो ग्रहण करे, यदि इस प्रकार के अभिग्रह से एपणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो ग्रहण न करे। नवभीए से कप्पड़ बस बत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, इस नवमी के दिन भोजन और पानी की दस दस दतियां ग्रहण पाणस्स-जाव-एयाए एसणाए एसमागे लमज्जा आहारेजा, करना कल्पता है—यायत्-. इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा एपाए एसणाए एसमाणे णो लभेजा णो आहारेडना । करते हुए आहार प्राप्त हो तो ग्रहण करे, यदि इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो ग्रहण न करे। वसमीए से कम्पह एगारस दसीओ भोयणस्स पडिगाहे सए, दसमी के दिन भोजन और पानी की ग्यारह-ग्यारह दत्तियां एपारस पाणस्स-जाव-एयाए एसपाए एसमाणे सभेजा ग्रहण करना कल्पता है-यावत्-इस प्रकार के अभिग्नह से आहारेज्जा, एवाए एसणाए एसमाणे जो सभेजा जो एषणा करते हुए आहार प्राप्त हो तो ग्रहण करे, यदि इस प्रकार आहारज्जा । के अभिग्रह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो ग्रहण न करे। एगारसमीए से कप्पइ वारस बत्तीयो भोयगस्स पडियाहेत्तए, ग्यारस के दिन भोजन और पानी की बारह-बारह दत्तियां वारस पागस्स-जाय एयाए एसणाए एसमाणे लज्जा ग्रहण करना कल्पता है-पावत्-इस प्रकार के अभिग्रह से आहारेज्ना, एकाए एसगाए एसमाणे णो लभेजा गो एषणा करते हुए आहार प्राप्त हो सो ग्रहण करे, यदि इस प्रकार आहारेज्जा। के अभिग्रह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो ग्रहण न करे। बारसमीए से कापड तेरस पसीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, बारस के दिन भोजन और पानी की तेरह-तरह दत्तियाँ तेरस पाणस्स-जाब-एयाए एसणाए एसमाणे लमेवजा आहा- ग्रहण करना फल्पता है-यावत्-इस प्रकार के अभिग्रह से रेजा. एवाए एसणाए एसमाणे गोलभेषा णो आहा- एषणा करते हुए आहार प्राप्त हो तो ग्रहण करे, यदि इस प्रकार रेज्जा । के अभिग्रह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो ग्रहण न करे।
SR No.090120
Book TitleCharananuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size18 MB
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