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________________ ३०२] धरणानुयोग-२ वञ्चमध्य चन्द्र प्रतिमा सूत्र ६२५ चउत्योए से कप्पइ पारस बसीओ भोयणस्स परिगाहेत्तए, चौथ के दिन भोजन और पानी की बारह-बारह दत्तियाँ बारस पाणस्स-जाव-एयाए एसणाए एसमाणे लभेज्जा आहा- ग्रहण करना कल्पता है यावत्-इस प्रकार के अभिग्रह से रेग्जा, एयाए एसणाए एसमाणे णो लभेजा जो आहारेज्ना। एषणा करते हुए आहार प्राप्त हो तो ग्रहण करे, यदि इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त न हो ग्रहण न करे। पंचमीए से कप्पड एगारस वत्सीओ भोपगस्स परिगाहेत्तए, पाँचम के दिन भोजन और पानी की ग्यारह-न्यारह दत्तिमा एगारस पाणस्स-जान-एयाए एसगाए एसमागे लभेजा ग्रहण करना कल्यता है-थावत्-इस प्रकार के अभिग्रह से आहारज्जा, एयाए एसणाए एसमाणे गो लभेज्जा णो एपणा करते हुए आहार प्राप्त हो तो ग्रहण करे यदि आहारेज्जा। के अभिग्रह से एपणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो ग्रहण न करे। छट्ठीए से कप्पइ इस दत्तीओ मोयणस्म पडिगाहेत्तए, दस छठ के दिन भोजन और पानी को दस-दस दत्तियाँ ग्रहण पाणस्स-जाद-एयाए एसणाए एसमाणे लभेज्जा आहारेमा, करना कल्पता है-यावत् -इस प्रकार के अभिग्रह से एषमा एयाए एसणाए एसमाणे पो लमेमा णो आहारेमा । करते हुए माहार प्राप्त हो तो ग्रहण फरे, मदि इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो ग्रहण न करे। सत्तमोए से कप्पद नघ वत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, नय सातम के दिन भोजन और पानी की नव-नव दत्तियां ग्रहण पाणस्स-जाब-एपाए एमणाए एसमाणे सभेज्मा थाहारेजमा, करना फल्पता है यावत्-इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा एयाए एसणाए एसमाणे जो लभेज्जा णो आहारज्जा। करते हुए आहार प्राप्त हो तो ग्रहण करे, यदि इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त नही तो ग्रहण न करे। अट्ठमोए से कप्पइ अट्ट बत्तीको भोयणस्स पडिगाहेत्तए, अट्ट आम के दिन भोजन और पानी की आठ-आठ दत्तियाँ पाणस्स-जाव-एयाए एसणाए एसमाणे सभेज्जा आहारेज्जा, ग्रहण करना कल्पता है यावत्-इस प्रकार के अभिग्रह से एपाए एसणाए एसमागे णो लभेजा णो आहारेज्जा। एषणा करते हुए आहार प्राप्त हो तो ग्रहण करे, यदि इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो ग्रहण न करे। नवमीए से कप्पद सत्त वत्तीभो भोयणस्स परिगाहेत्तए, सत्त नवमी के दिन भोजन और पानी की सात-सात दत्तियां ग्रहण पागस्स-जाव-एयाए एसपाए एसभाणे सभेज्जा आहारेज्जा, करना कल्पता है यावत्-इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा एमाए एसणाए एसमाणे गोलमेजा णो आहारेजा। करते हुए बाहार प्राप्त हो तो ग्रहण करे, यदि इस प्रकार के अभि ग्रह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो ग्रहण न करे। बसमीए से कप्पद छ वतीभो भोयणम्स पबिगाहेत्तए, छ दसमी के दिन भोजन और पानी की छह-छह दत्तियाँ ग्रहण पागल-जाव-एयाए एसणाए एसमाणे लभेज्जा आहारेषजा, करना कल्पता है-यावत्-इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा एयाए एसणाए एसमाणे गोलभेषमा णो माहारेण्णा । करते हुए आहार प्राप्त हो तो ग्रहण करे, यदि इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो ग्रहण न करे ।। एगारसमीए से कप्पद पंच यत्तीको भोयणस्स पडिगाहेत्तए, ग्यारस के दिन भोजन और पानी की पांच-पांच दत्तिय पंच पाणस्स-जाव एवाए एसणाए एसमाणे सभेचा माहा- ग्रहण करना कल्पता है-यावत्-इस प्रकार के अभिग्नह से रेल्जा, एयाए एसणाए एसमाणे णो लग्या गो माहा- एषणा करते हुए आहार प्राप्त हो तो ग्रहण करे, यदि इस प्रकार के अभिग्रह से एषणा करते हुए आहार प्राप्त न हो तो ग्रहण न करे।
SR No.090120
Book TitleCharananuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size18 MB
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