________________
२६६]
घरगानुयोग-२
भवमोवरिका के भेद
सूत्र ५५५-५५७
अवमोदरिका-३
ओमोथरियाए भेया
अवमोदरिका के भेद५५५. ५०-से कि ओमोयरिया ?
५५५. प्र.-अवमोदरिका क्या है-उसके कितने भेद हैं? 30-ओमोरिया दुविहा पणता, तं जहा
मुल-अवमोदरिका के दो भेद बतलाये गये हैं, यथा१. वयोमोयरिया य,
हा-अवमोदरिका-भूख से कम खाना। २. मावोमोपरिया या-वि. स.२५, उ.७, सु. २०३ (२) भाव अबमोदरिका-कषाय कलह थादि कम करना । मोमोयरियं पंचहा, समालेण वियाहियं ।
द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव और पर्याय के भेद से उनीदरी तप बस्वओ घेत्त-कालेणं भावेणं पज्जवेहि य
संक्षेप में पांच प्रकार का है।
-उत. अ. ३०, मा. १४ दवोमोयरिया सरूवं
द्रव्य अवमोदरिका का स्वरूप---- ५५६. जो जस्स उ आहारो, तत्तो ओम तु जी करे।
१५६. जिसका जितना थाहार है, उससे कम खाता है अर्थात् जहन्नेणेग - सित्याई, एवं धन्वेण उ भवे ।।
जघन्य एक कवत भी कम खाता है, वह द्रव्य से अवमोदयं तप
-उत्त. अ. ३०, गा.१५ होता है। दव्योमोयरियाए भेयप्पभेया
द्रव्य अवमोदरिका के भेद-प्रभेद५५७. १०-से कितं वयोमोयरिया ?
५५७. प्र-द्रव्य-अवमोदरिका क्या है-उसके कितने भेद हैं ? उ०-दव्योमोयरिया वुविहा पण्णत्ता, तं जहा
सु०---द्रव्य-अवमोदरिका के दो भेद बतलाये गये हैं, यश१. उवगरण-वयोमोयरिया य,
(१) उपकरण-द्रव्य अवमोदरिका-वस्त्र आदि उपयोगी
सामग्री का कम उपयोग करना । २. भत्तपाण-पथ्योमोरिया या
(२) भक्त-पान अवमोदरिका---साद्य, पेय पदार्थों का कम
मात्रा में उपयोग करना। प०-से कितं उबगरण-वयोमोयरिया ?
प्र०-उपकरण-द्रव्य अवमोदरिका क्या है-उसके कितने
भेद हैं? उ०-उवगरण-दव्योमोयरिया तिथिहा पण्णत्ता, तं जहा- उ० -उपकरण-द्रव्य अवमोदरिका के तीन भेद बतलाये गये
हैं, यथा१. एगे बस्थे, २. एगे पाए,
(१) एक वस्त्र रखना, (२) एक पात्र रखना, ३. वियतोवकरण-साइजणया,
(३) त्यक्त (परिभुक्त) उपकरण ग्रहण करना । से तं उवगरण-खोमोयरिया।
यह उपकरण द्रव्य अवमोदरिका है 1 प०-से कि मत्तपाण-वयोमोयरिया?
प्र०-भक्तपान-द्रव्य अवमोदरिका क्या है उसके कितने
उ.-प्रसपाण-इस्रोमोयरिया अगविहा पणत्ता,तं जहा-
उ०-भक्तपान-द्रव्य अवमोदरिका के अनेक भेद बतलाये गये हैं, जो इस प्रकार हैं
१ उव. सु. ३० २ भगवती सुत्र और औषपातिक सूत्र में ये भेद समान है किन्तु याणांग सूत्र के तीसरे ठाणे में ऊणोदरी तप के तीन भेद इस
प्रकार किये हैं... तिविधा ओमोयरिया पण्णता, तं जहा
(१) उवमरणोमोयरिय (२) भत्तपाणोमोयरिया, (३) भावोमोयरिया । ---ठाणं. अ. ३. उ. ३, सु. १८८ (क) ३ ठाणं. अ. ३,उ. ३, सु. १८८ (ख)