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________________ सूत्रां४६२ प्रमण का अध्ययन कम संघ-व्यवस्था [२२३ AAAAAAAA अध्यापन-व्यवस्था-६ समणस्स अज्झयणकमो श्रमण का मध्यवन क्रम४६२. तिवास परियायस्स' समणस्स निम्गंधस्स कप्पह आयार- ४६२. तीन वर्ष की दीक्षापर्याय वाले (योग्य) श्रमण-निर्ग्रन्थ को पकप्पे नाम अन्सयले उहिसित्तए । आचार-प्रकल्प नामक अध्ययन पढ़ाना कल्पता है। पउवास-परियायरस सभणस्स गिग्गंथस्स कप्पड सूपगडे नाम पार वर्ष की दीक्षापर्याय वाले श्रमण-निर्ग्रन्थ को सुबकृतांग अंगे उद्दिसित्तए। नामक दूसरा अंग पढ़ाना कल्पता है। पंचवास-परियायस्स समणस्स मिथस्स कप्पह-इसाकप्प- पाँच वर्ष की दीक्षापर्याय वाले श्रमण-निर्ग्रन्थ को (१) दशा, ववहारे उद्दि सिराए। (२) कल्प, (३) व्यवहार सूत्र पढ़ाना कल्पता है। अट्ठवास-परियायस्त समणस्स णिगंथस्स कम्पइ ठाग- आठ वर्ष की दीक्षा पर्याय वाले श्रमण-निर्ग्रन्थ को स्थानांग समवाए उद्दिसित्तए। और ममवायांग सूत्र पढ़ाना कल्पता है। दसवास-परियायस्स समणस णिगंधस्स कप्पद वियाहे नामं दश वर्ष को दीक्षापर्याय वाले श्रमण-निर्ग्रन्थ को व्याख्या बंगे उहि सिसए। प्रज्ञप्ति नामक अंग पढ़ाना कल्पता है। एक्कारसवास परियायस्स समणस्स णिगंथस्स कम्पड खडिया ग्यारह वर्ष की दीक्षापर्याय वाले श्रमण-निर्ग्रन्थ को क्षलिका विमाण-पविनती, महल्लिया-विमाण-पविभत्तो, अंगलिया. विमान प्रविभक्ति, महल्लिका विमानप्रविभक्तिः, अंगलिका, वर्गवग्गलिया, वियाहलिया नाम अम्झयगे उद्दिसित्तए। चूलिया और व्याख्याचूलिका नाम का अध्ययन पत्राना कल्पता है। बारसवास परियायस्स समणस्स णिग्गंधस्स कप्पइ अरुणो बारह वर्ष की दीक्षापर्याय वाले श्रमण निर्ग्रन्थ को अरुणो. वबाए, गरुलोववाए. धरणोववाए, वरुणोववाए, वेसमणोव- पपात, गरुडोपपात, धरुणोपपात, वरणोपपात, वैश्रमणोपपात, वाए, वेलंधरोववाए नाम अम्मयणे चहिसिलए। वेलन्धरोपपात नामक अध्ययन पढ़ाना कल्पता है। सेरसवास-परियायत समगल्स णिमांथस्स कप्पइ उट्टाणसुए, तेरह वर्ष की दीक्षापर्याय वाले श्रमण-निर्ग्रन्थ को उत्थानसमुठ्ठाणसुए. देविवपरियावणिए, नागपरियायगिए नाम श्रुत, समुत्थान श्रुत, देवेन्द्रपरियापनिका और नागपरियापनिका अज्झयणे उदि सित्तए। नामक अध्ययन पढ़ाना पाल्पता है। चोद्दसवास-परियायस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पा सुमिण- चौदह वर्ष की दीक्षापर्याय वाले श्रमण-निग्रंन्य को स्वनभावणा नाम अज्रयगे उद्दिसित्तए। भावना नामक अध्ययन पढ़ाना कल्पता है। पनरसवास-परियाघस्स समणस्स णिग्गंथस्स कप्पा चारण- पन्द्रह वर्ष की दीक्षापर्याय वाले श्रमण-निर्ग्रन्थ को चारणभावणा नाम अजायगे उहि सित्तए ! भावना नामक अध्ययन पड़ाना कल्पता है। सोलसवास-परियायल्स समगस्स णिगंयस्स कप्पह तेष- सोलह वर्ष की दीक्षापर्याय वाले श्रमण-निर्ग्रन्थ को तेजोपिसग्गे नाम अजायणे उहिसिलए। निसर्ग नामक अध्ययन पढ़ाना कल्पता है। सत्तरसवास-परियायस्स समणस गिग्गयस्स कप्पद मासी- सत्तरह वर्ष की दीक्षापर्याय वाले श्रमण-निर्ग्रन्थ को आसीविसमावणा पामं अभयगे उदिसित्तए। विष भावना नामक अध्ययन पढ़ाना कल्पता है । अठारसवास-परियायरस समणस्स निग्यस्स कप्पद विहि- बठारह वर्ष की दीक्षापर्याय वाले श्रमण-निग्रन्थ को दष्टिविसमावगा णार्म अज्झयणे उहि सित्तए । विष भावना नामक अध्ययन पढ़ाना कल्पता है। एगणवीसवास-परियायस्स समणस्स निबंथरस कप्पड़ दिदिठ- उन्नीस वर्ष की दीक्षापर्याय वाले धमण-निर्ग्रन्थ को दृष्टिवाए नाम अंगे उद्दिसित्तए। __ वाद नामक बारहवां अंग पढ़ाना कल्पता है। बीसवास परियाए समणे णिगंथे सम्बसुपागुवाई भवह। बीस वर्ष की दीक्षापर्याय वाला श्रमण-निर्मन्थ सर्वश्रुतानु - दन. उ. १०, सु. २४-३८ वादी हो जाता है। १ टाव. उ. ३, में तीन वर्ष की संयम पर्याय वाले उपाध्याय योग्य भिक्षु को बहुश्रुत बहु आगमज कहा तथा कम से कम आचार प्रकल्प धारण करने वाला कहा । अतः इस सूत्र का भावार्थ यह समझना योग्य है कि तीन वर्ष की दीक्षा पर्याय वाले माग्य शिष्य को कम से कम इसका बाचन करा देना चाहिए ।
SR No.090120
Book TitleCharananuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size18 MB
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