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________________ सूत्र २६६ प्रत्याल्यान का स्वरूप में उसके करण योगों के मंग गृहस्थ धर्म [१२३ २. अहबा न करेति, करेंत नाणुजाणइ, मणसा, वयसा, (२) अथवा स्वयं करता नहीं, करते हुए का अनुमोदन कायसा, करता नहीं, मन, वचन और काया से, ३. अहषा न कारवेध, करेंतं नाणजाणा, मणसा, वयसा, (३) अथवा दूसरों से करवाता नहीं, करते हुए का अनुकायसा। मोदन करता नहीं, मन, वचन और काया से। (८-१०) (५) दुविहं दुविहेणं पडिक्कममाणे, ५. जद दो करण दो योग से प्रतिक्रमण करता है, तब-.. १. न करेति, न कारवेति, मणसा, वयसा, (१) स्वयं करता नहीं, दूसरों से करवाता नहीं, मन और वचन से, २ अहवान फरेसि, न कारयेति, मणसा कायसा, (२) अथवा स्वयं करता नहीं, दूसरों से करवाता नहीं, मन और काया से, ३. अहवा न करेति, न कारणेति, थपसा करयसा, (३) अथवा स्वयं करता नहीं, दूसरों से करवाता नहीं, वचन और काया से । ४. अहवा न करेति, करेंतं नाणजाणद, मगला वयसा. (४) अथवा स्वयं करता नहीं, करते हुए का अनुमोदन करता नहीं, मन और वचन से। ५. अहवा न करेति, करें नाणुजाणइ, भणसा कायसा, (५) अथवा स्वयं करता नहीं, करते हुए का अनुमोदन करता नहीं, मन और काया से। ६. अस्वा न फरेति, करत नाणुमागाइ, वयसा कायसा, (६) अथवा स्वयं करता नहीं, करते हुए का अनुमोदन करता नहीं, वचन और काया से। ७. अहवा न कारवेति, करेंसं नागुजाणति, मणसा वयसा, (७) अथवा दूसरों से करवाता नहीं, करते हुए का अनु मोदन करता नहीं, मन और वचन से । ८. अहवान कारयेह, करें नाणुजाणइ, मगला कायसा, (4) अथवा दूसरों से करवाता नहीं, करते हुए का अनु मोदन करता नहीं, मन और काया से। ६. अहवा म कारवेति, करेंतं नाणुमाणह, वसा कायसा । (e) अथवा दूसरों से करवाता नहीं, करते हुए का अनु भोदन फरता नहीं, वचन और काया से। (११-१६) (६) दुविहं एस्कविहेणं पडिक्कममाणे, ६. जब दो करण एक योग से प्रतिक्रमण करता है, तब१. न करेति, न कारवेति, मगसा, (१) स्वयं करता नहीं, दूसरों से करवाता नहीं, मन से । २. अहवा न करेति, न कारवेति वयसा, (२) अथवा स्वयं करता नहीं, दूसरों से करवाता नहीं, वचन से। ३. अहवा न करेति, न कारवेति कायसा, (३) अथवा स्वयं करता नहीं, दूसरों से करवाता नहीं, काया से। ४. अहवा न करेति, करेंत नाणुजाण भणसा, (४) अथबा स्वयं करता नहीं, करते हुए का अनुमोदन करता नहीं, मन से। ५. अहया न फरेइ, करेंतं नाणुजाणइ वयसा, (५) अबदा स्वयं करता नहीं, करते हुए का अनुमोदन करता नहीं, वचन से। ६. अहवा न करेइ, फरेंत नाणुजाण कायसा, (६) अथवा स्वयं करता नहीं, करते हुए का अनुमोदन करता नहीं, काया से। ७. अहवा न कारवेद, करतं नाणुजाणह मणसा, (७) अथवा दुसरों से करवाता नहीं, करते हुए का अनुमोदन करता नहीं, मन से। ८. अहवा न कररवेइ, करेंतं नाणुजाणद वयसा, (4) अथवा दूसरों से करवाता नहीं, करते हुए का अनुमोदन करता नहीं, वचन से । .
SR No.090120
Book TitleCharananuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size18 MB
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