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________________ १२२] परणानुयोग - २ प्रत्याल्यान का स्वरूप उसके करण योगों के मंग पूत्र २९६ उ० --गोपमा ! तीत परिक्कमति, पड़प्पन्नं संवरेति, १०.गौतम ! अतीत काल में किये हुए प्राणातिपात का अगागत पच्चक्खाति। प्रतिक्रमण करता है, वर्तमानकालीन प्राणातिपात का संवर करता है एवं भविष्यत्कालीन प्राणातिपात का प्रत्याख्यान करता है। प०-तोतं परिक्कममा कि प्र०-अतीतकालीन प्राणातिपात का प्रतिक्रमण करता हुवा क्या१. सिविहं तिविहेणं पम्पिकमति, (१) तीन करण, तीन योग से, २. तिविहं बुधिहेणं पठिपकमति, (२) तीन करण, दो योग से, ३. तिविहं एगविहेणं परिक्कमति, (३) तीन करण, एक योग से, ४. सुविहं सिविहेगं पडिम्फमति, (४) दो करण, तीन योग से, ५. विहं दुषिर्ण परिक्कमति, (५) दो करण, दो योग से, ६. दुविहं एगविहेगं पडिस्कमति, (६) दो करण, एक योग से, ७. एक्कविहं सिविहेगं परिक्कमति, (७) एक करण, तीन योग से, ८. एक्कविहं बुविहेणं पडिएकमति, (८) एक करण, दो योग से, ६. एक्कविहं एगविहेणं पक्किमति ? (E) एक करण, एक योग से, प्रतिक्रमण करता है? उ०-गोयमा ! तिविहं का तिविहेणं पडिक्कमति-जाव- उ०-गौतम ! वह तीन करण तीन योग से प्रतिक्रमण एक्कविहं वा एक्कविहेणं पडिक्कमति । करता है - गावर -- का पट योरोमतिकमण करता है। (१) सिविहं वा तिविहे परिक्कममाणे १. जब वह तीन करण तीन योग से प्रतिक्रमण करता है, न करेति, न कारवेति, करेंत गाणुजाणति, मणसा वयसा स्वयं करता नहीं, दूसरे से करवाता नहीं और करते हुए कायला, का अनुमोदन करता नहीं मन से, वचन से और काया से। (१) (२) तिविहं दुबिहेणं पडिक्कमाणे, २. जब वह तीन करण दो योग से प्रतिक्रमण करता है। तब१. न करेति, न कारवेति, करतं गाण जाणति, मणसा (१) स्वयं करता नहीं, दूसरे से करवाता नहीं और करते वयसा, हुए का अनुमोदन करता नहीं, मन से और वचन से, २. महवा न करेति, न कारवेति, करत जाणुजागति, (२) अथवा वह स्वयं करता नहीं, दूसरे से करवाता नहीं मणसा, कायसा, __ और करते हुए का अनुमोदन करता नहीं मन से और काया से । ३. अहवा न करे, म फारवेश करते णागुजाणति, बयसा, (३) अथवा वह स्वयं करता नहीं, दूसरे से करवाता नहीं कायसा । और करते हुए का अनुमोदन करता नहीं, वचन से और काया से । (२-४) (३) तिषिह एगविहेगं परिक्कममागे, ३. जब तीन करण एक योग से प्रतिक्रमण करता है, तब१. करेति, न कारवेति, करें णाणुजाणति मगसा, (१) स्वयं करता नहीं, दूसरे से करवाता नहीं और करते हुए का अनुमोदन करता नहीं मन से, २. अहवा न करे, न कारवेति, करेंतं णागुजाणति, अयसा, (२) अथवा स्वयं करता नहीं, दूसरे में करवाता नहीं और करते हुए का अनुमोदन करता नहीं वचन से, ३. अहवा न करेति, म फारवेति, करेंतं णानुजाणति, (३) अथवा स्वयं करता नहीं, दूसरे से करवाता नहीं और कायसा । करते हुए का अनुमोदन करता नहीं काया से । (५-७) (४) बुविहं तिविहे पनिषकममाणे, ४. जब दो करण तीन योग से पतिक्रमण करता है, तब - - १. न करे, न कारवेति, मणता, वयसा, कायसा, (१) स्वयं करता नहीं, दूसरों से करवाता नहीं, मन, वचन, और काया से,
SR No.090120
Book TitleCharananuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size18 MB
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