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________________ १६) चरणानयोग-२ सशरम्भ-असमाराम से संयम-असंयम के प्रकार (१) पक्खुमातो सोक्त्रातो अववरोवेसा भवति, १. चक्षुमय सुख का वियोग नहीं करने से, सुमएणं दम असंजोग त, २. नक्षुमय दुःख का संयोग नहीं करने से, (३) धाणामातो सोक्खातो अवयरोवेत्ता भवति, ३. प्राणमय सुत का वियोग नहीं करने से. (४) घाणामएणं दुफ्षेणं असंजोएता भवति. ४. घाणमय दुःख का संयोग नहीं करने से, (५) जिम्मामातो सोक्खातो अवघरोवेत्ता भवति, ५. रसमय सुख का वियोग नहीं करने से, (६) जिम्मामएणं दुक्खेणं असंजोएता भवति, ६. रसमय दुःम का संयोग नहीं करने से, (७) फासामातो सोक्खातो अक्वरोवेत्ता भवति, ७ स्पर्शमय सुध का वियोग नहीं करने से, (6) फासामएणं दुक्खेणं असंजोएका भवति । . स्पर्शमय दुःख का संयोग नहीं करने से, चरिदिया णं जीया समारभमाणस्त अटुविधे असंजमे चतुरिन्द्रिय जीवों का आरम्भ करने वाले के आठ प्रकार काजति, तं जहा का असंयम होता है(१) चक्नुमातो सोक्खातो ववरोवेशा भवति, १. चक्षुमय सुख का वियोग करने से, (२) चक्खुमाएणं दुक्खेणं संजोगेशा भवति, २. चक्षुमय दुःख का संयोग करने से, (३) घाणामातो सोक्खातो बवरोवेत्ता भवति ३. प्राणमय सुख का वियोग करने से, (४) घाणामएण दुषस्येण संजोगेत्ता भति, ४. प्राणमय दुःव का संयोग करने से, (५) जिम्मामातो-सोक्खातो बबरोवेत्ता भवनि, ५. रसमय सुख का वियोग करने से, (६) जिम्मामएणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवति, ६. रसमय दुःख का संयोग करने से, (७) फासामातो सोक्खातो बवरोवेत्ता भवति, ७. स्पर्शमय मुल का वियोग करने से, (८) फासामाएणं दुक्खेंणं संजोगेत्ता भवति । ८. स्पर्शमय दुःल का मंयोग करने से । -ठाणं. अ.८, सु. ६१५ पंचिदिया चं जीवा असमारममाणस्स पंचविहे संजमें पंचेन्द्रिय जीवों का असमारम्भ करता हुआ जीव पनि प्रकार ज्जति, तं जहा का संगम करता है(१) सोतिवियांजमे, (२) चविखदियराजमे. १. श्रोत्रेन्द्रिय संयम, २. चक्षुरिन्द्रिय संयम, (३) घाणिदियजमे, (४) जिभिरियजम, ३. प्राणेन्द्रिय संयम, ४. जिह्वन्द्रिय संयम, (५) फासिदिवसंजमे। ५. स्पर्गेन्द्रिय गंयम । पचिदिया णं जीवा समारभन्माणस्स पंचविहे असंजमें कज्जति, पंचेन्द्रिय जीवों वा रामाराम करता हुआ जीव पांच प्रकार तं जहा का असंगम करमा है(१) सोतिदियअसंजम, (२) चक्विदियअसंजमें, १. श्रोत्रेन्द्रिय असंयम, २. चक्षुरिन्द्रिय असंयम (३) धाणिदियअसंजमे, (४) जिग्मिदियअसंजमे, ३. घाणेन्द्रिय असंयम, ४. जिह्वेन्द्रिय असंबम, (५) कासिवियअसंजमे। ५. स्पर्शन्द्रिय असंयम । सस्वपाणभूयजीवसत्ता णं असमारममाणस्स पंचबिहे संजमें सर्व प्राण, भूत, जीव और सत्वों का असमारम्भ करता हुआ करजति, तं जहा जीव पांच प्रकार का संयम करता है(१) एगिदियसंजमे, (२) बेइंदियसंजमे, १. एकेन्द्रिय संयम, २. द्वीन्द्रिय संयम, (३) तेइंटियसंजमे, (४) चरिदियसंजमे, ३. कीन्द्रिय संयम, ४. चतुरिन्द्रिय संयम, (५) पंचिदियांजमे । ५. पंचेन्द्रिय संयम । सम्वपाणभूयजोक्सत्ता गं समारभमाणस्स पंचविहे अजमे सर्व प्राण, भूत, जीव और सत्वों का समारम्भ करता हुआ कज्जति, तं जहा जीव पांच प्रकार वा असंयम करता है(१) एगिदियअसंजमे, (२) बेइंवियअसंजमे, १. एकेन्द्रिय असंयम, २. द्वीन्द्रिय असंयम, (३) तेइंदियअजमे, (४) चरिदियबसंजमे, ३. त्रीन्द्रिय असंयम, ४. चतुरिन्द्रिय असंयम, () पंचेदियअसंजमें। - ठाणं. अ.५,उ. २, सु. ४३० ५ . पंचेन्द्रिय असंयम । १ इसी प्रकार पंचेन्द्रिय के मारम्भ-अलमारम्न का सु. ११५ आहे महाबत पृ. २६६ पर देखें ।
SR No.090120
Book TitleCharananuyoga Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year
Total Pages571
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Conduct, Agam, Canon, H000, H010, & agam_related_other_literature
File Size18 MB
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