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(७०) मिलाकर जो ८४९७०२३ जिन चैत्यालय पापोंके नाश करनेवाले हैं, उनकी मैं बन्दना करता हूं।
सौधर्म इन्द्रकी सेनाकी गणना । इंद्रसेन सात हाथी घोरे रथ प्यादे बैल, गंधरव नृत्य सात सात परकार हैं। आदि चौरासी हजार आगें षट दूने दूने, एक कोरि छै लाख अड़सठ हजार हैं ॥ एते गज तेते तेते छह भेद सबके ते, सात कोरि छियालीस लाख निरधार हैं । सहस छिहत्तर हैं औ एक अवतार न्योग, पुन्यकर्म भोग भोग मोखकौं सिधार हैं॥५४॥
अर्थ-सौधर्मस्वर्गके इन्द्रकी सेना सात प्रकारकी हैहाथी, घोड़ा, रथ, प्यादा, बैल, गन्धर्व और नर्तक । और इस सात प्रकारकी सेनाके सात सात प्रकार और भी हैं । आदिकी अर्थात् पहली सेनामें ८४ हजार हाथी हैं और आगेकी छह सेनाओंमें इनसे दूने दूने हाथी हैं । इस हिसाबसे सब मिलाकर १०६६८००० हाथी हैं । जितने ये हाथी हैं, उतने ही घोड़े रथ आदि हैं। सब सेनाकी गिनती हाथी घोड़े आदि मिलाकर ७४६७६००० है । इस सौधर्म इन्द्रका केवल एक अवतार धारण करनेका नियोग होता है । पुण्यकर्मके उदयसे प्राप्त हुए इस महान् वैभवको