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(६७) अधोलोकके चैत्यालयोंकी संख्या।
___ कवित्त ( १ मात्रा )। चौसठि लाख असुर जिनमंदिर, लाख चौरासी नागकुमार हेमकुमार सुलाख बहत्तरि, छह विध लाख छहत्तर धार ॥ लाख छानवै बातकुमार, पताललोक भावन दस सार । सात कोरि सब लाख बहत्तरि,
चैत्याले बन्दों सुखकार ॥ ५१ ॥ अर्थ-असुरकुमार देवोंके भवनोंमें ६४ लाख, नाग कुमारोंके भवनों में ८४ लाख और हेमकुमारोंके भवनोंमें ७२ लाख अकृत्रिम जिनचैत्यालय हैं । आगे जो छह प्रकारके कुमार अर्थात् विद्युत्कुमार, अग्निकुमार, मेघकुमार, उदधिकुमार, द्वीपकुमार और दिक्कुमार देव हैं, उनके भवनोंमें छिहत्तर छिहत्तर लाख और बायुकुमारोंके भवनोंमें ९६ लाख चैत्यालय हैं । इस प्रकार पाताल लोकवासी दश प्रकारके देवोंके भवनों में सात करोड़ बहत्तर लाख जिनमंदिर हैं। उनकी मैं बन्दना करता हूं। बे सुखके देनेवाले हैं । अर्थात उनके स्मरण, वन्दनसे पुण्यबंध होता है और पुण्यबन्धसे सुख प्राप्त होता है।