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अर्थ - ज्योतिषी देव पांच प्रकार के हैं-चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र और तारे । इनमें चन्द्र इन्द्र होता है और सूर्य प्रतीन्द्र होता है । एक चन्द्रमाका परिवार इस प्रकार है१ सूर्य, ८८ ग्रह, २८ नक्षत्र, और ६६९७५ कोड़ाकोड़ी. तारागण । सो ढाई द्वीपमें इसी प्रकारके परिवारवाले १३२ चन्द्रमा हैं । इन सब ज्योतिषियों के विमान जिन चैत्यालयों और जिन प्रतिमाओं सहित हैं । इस लिये मैं दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार करता हूं ।
आयुकर्म बंधके नव भेद ।
आउ अंस पैंसठ सौ इकसठ, इस सौ सत्तासी जान । सात सतक उनतीस दोय सो, तेतालिस इक्यासी मान ॥ सत्ताईस और नौ तीनों, एक आठवाँ भेद बखान । नौमीं अंतकालमै बाँधै, अगली गतिकी आउ निदान ॥ अर्थ - जीव अपनी अगली आयुका बंध कब करता है, इसका खुलासा इस कवित्त में किया है, किसी जीवकी आयु में यदि हम ६५६१ अंशोंकी कल्पना करें, तो इसके तीसरे हिस्से में अर्थात् जब २१८७ अंश आयुके शेष रह
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